13 सप्टेंबर दिनविशेष


*13 सप्टेंबर दिनविशेष 2022 !*
      🧩 *मंगळवार* 🧩
         
         🌍 *घडामोडी* 🌍    
 
👉 *2003 - जेष्ट गायक पं दिनकर कैकिणी यांना तानसेन यांना राष्ट्रीय कुमार गंधर्व पुरस्कार जाहीर*
👉 *2003 - मेडोलिन वादक यू.श्रीनिवास यांना राष्ट्रीय कुमार गंधर्व पुरस्कार जाहीर*         
👉 *2008 - दिल्ली तील बाॅम्ब स्फोटामध्ये 30 ठार 130 जण जखमी झाले*


            🔥🔥🔥🔥
*विदर्भ प्राथमिक शिक्षक संघ नागपूर* 
(प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ नागपूर विभाग नागपूर) 
9860214288, 9423640394
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👉 *1932 - शास्त्रीय गायीका डाॅ.प्रभा अञे  यांचा जन्म*
👉 *1967 - अमेरिकन धावपटू मायकेल जाॅन्सन यांचा जन्म*

🌍 *मृत्यू*

👉 *2012 - भारताचे 21 वे सरन्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा  यांचे निधन*
👉 *2004 - गर्भनिरोधक गोळी चे संशोधक लुइस ई मिरमोटेस   यांचे  निधन*
 
🙏 *मिलिंद विठ्ठलराव वानखेडे*🙏
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          *🥇सामान्य ज्ञान 🥇*
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*👉व्हॉट्सॲपचा निर्माता कोण आहे ?*
*🥇जॉन कोम ब्रयान एक्टन*

*👉तृतीय रत्न नाटकाचे लेखक कोण आहे ?*
*🥇महात्मा फुले*

*👉दारणा धरण कोणत्या जिल्ह्यात आहे ?*
*🥇नाशिक*

*👉परिसंस्था ही संज्ञा सर्वप्रथम     १९३५ मध्ये कोणी वापरली ?*
*🥇ए . टान्सले*

*👉एपीझेड म्हणजे काय ?*
*🥇एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग झोन*
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           *🕸 बोधकथा 🕸*
     
*🤔उद्याची काळजी☹️*  

*एक संपन्न सेठजी होते. त्याने खूप मेहनत घेतली. एके दिवशी त्याला काय कळलं की त्याच्या अकाउंटंटला फोन करून शोधून काढा की आमच्याकडे किती पैसे आहेत आणि किती दिवसांसाठी? काही दिवसांनी लेखापाल हिशेब घेऊन आला आणि सेठजींना म्हणाला- आज जो खर्च होत आहे, त्याचप्रमाणे आजपासून काही उत्पन्न नसले तरी सात पिढ्या तुमच्या खाऊ शकतात. सेठला धक्काच बसला. मग आठव्या पिढीचे काय होणार? सेठजी विचार करू लागले आणि तणावात पडले. त्यानंतर तो आजारी पडू लागला. खूप उपचार केले पण फरक पडला नाही. एके दिवशी सेठजींचा एक मित्र चौकशी करायला आला. सेठजी म्हणाले - इतकं कमावलं, तरीही आठव्या पिढीसाठी काहीच नाही. मित्र म्हणाला- एक पंडितजी दूरवर राहतात, जर तुम्ही त्यांना सकाळी खाऊ दिलात तर तुमचा रोग बरा होईल.*

*दुसऱ्याच दिवशी सेठजी जेवण घेऊन पंडितजींकडे पोहोचले. पंडितजींनी त्यांना आदराने बसवले. मग बायकोला आवाज दिला - सेठ जी जेवण आणले आहेत. यावर पंडिताईने सांगितले - कोणीतरी अन्न दिले आहे. पंडितजी म्हणाले- सेठ जी, आजचे जेवण कोणी दिले आहे. त्यामुळे तुमचे अन्न स्वीकारता येत नाही. आमचा नियम असा आहे की जे एक जेवण सकाळी लवकर दिले जाते ते आम्ही स्वीकारतो. माझी माफी माग. सेठजी म्हणाले - मी उद्या आणू का? पंडितजी म्हणाले - आपण आज उद्याचा विचार करत नाही. उद्या येईल, देव स्वतः पाठवेल. सेठजी घराकडे निघाले. विचार करू लागलो, हा कसला माणूस आहे? उद्याची अजिबात पर्वा नाही. आणि मी माझ्या आठव्या पिढीबद्दल रडत आहे. त्याचे डोळे उघडले. सेठजी सर्व चिंता सोडून आनंदाने राहू लागले.*
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         *🌐 आजच्या बातम्या 🌐*

*📢राष्ट्रीय महामार्गावर कुठेही खड्डे दिसले तर ते तीन दिवसांत बुजवले जातील, एबीपी माझाला दिलेल्या खास मुलाखतीत केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरींची मोठी घोषणा.*
*ज्ञानवापी प्रकरण, पुढील सुनावणी घेण्यास कोर्टाचा होकार; 22 सप्टेंबरला पुढील सुनावणी.*  
*📢17 सप्टेंबर ते 2 ऑक्टोबर या कालावधीत 'राष्ट्रनेता ते राष्ट्रपिता सेवा पंधरवडा'; राज्य सरकारचा नवा उपक्रम, मुख्यमंत्र्यांचे विभागीय आयुक्त, जिल्हाधिकाऱ्यांना निर्देश.* 
*📢ठाणे जिल्ह्यात लम्पी आजाराचा शिरकाव, बदलापूर आणि अंबरनाथमध्ये जनावरं पॉझिटिव्ह. नाशिक जिल्हा परिषदेकडून 1 लाखाहून अधिक लम्पी स्कीन लसीं उपलब्ध.*  
*📢चार तासाच्या पावसाने पुणे पाण्याखाली; 10 झाडपडीच्या घटना अन् गाड्या वाहून गेल्या... पुणेकरांचं मोठं नुकसान.*   
*📢आगामी टी20 विश्वचषकासाठी भारतीय संघाची घोषणा, बुमराह-हर्षलचं पुनरागमन, पंतसह कार्तिक दोघेही संघात.*
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*मिलिंद व्हि वानखेडे*
*मुख्याध्यापक*
*प्रकाश हायस्कूल व ज्युनिअर कॉलेज कान्द्री-माईन* 
*9860214288*
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*🇮🇳 आझादी का अमृत महोत्सव 🇮🇳*
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       🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
                 ▬ ❚❂❚❂❚ ▬                  संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,          
             चंद्रपूर 9403183828                                                      
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        🏇 *ऑपरेशन पोलो* 🔫

तिथि : 13–18 सितम्बर, 1948
स्थान : हैदराबाद रियासत

                      *योद्धा*                                                       Dominion of India
❌  Hyderabad State

                 *सेनानायक*
 Dominion of India Sardar Patel
❌  Dominion of India Roy Bucher
 Dominion of India Joyanto Nath Chaudhuri
❌  Hyderabad State S.A. El Edroos Surrendered
और  Hyderabad State Qasim Razvi Surrendered

               *शक्ति/क्षमता*
35,000 Indian Armed Forces
22,000 Hyderabad State Forces
est. 200,000 Razakars (Irregular forces)

                *मृत्यु एवं हानि*

Hyderabad State Forces:        
                807 killed
            unknown wounded
                1,647 POWs

Razakars:
                  1,373 killed 
                  1,911 captured

Sunderlal Committee: 30,000 – 40,000 civilians killed
responsible observers: 200,000 civilians killed

ऑपरेशन पोलो सितम्बर 1948 को भारतीय सेना के गुप्त ऑपरेशन का नाम था जिसमें हैदराबाद के आखिरी निजाम को सत्ता से अपदस्त कर दिया गया और हैदराबाद को भारत का हिस्सा बना लिया गया। ध्यातव्य है कि भारत की स्वतंत्रता के बाद जब भारतीय संघ का गठन हो रहा था, हैदराबाद के निजाम ने भारत के बीच में होते हुए भी स्वतंत्र देश रहने की ही कवायत शुरू की थी।

मेजर जनरल सैयद अहमद अल एदूर्स  मेजर जनरल जयन्त नाथ चौधुरी के सामने सिकन्दराबाद में आत्मसमर्पण करते हुए। (फोटो देखे)
        विभाजन के दौरान हैदराबाद भी उन शाही घरानो में से था जिन्हे पूर्ण आजादी दी गई थी हालाँकि 1948 में उनके पास दो ही विकल्प बचे थे भारत या पाकिस्तान में शामिल होना। ज्यादातर हिन्दू आबादी वाले राज्य के मुसलमान शासक और आखिरी निजाम ओस्मान अली खान ने आजाद रहने फैसला किया और अपने साधारण सेना के बल पर राज करने का फैसला किया। निजाम ने ज्यादातर मुस्लिम सैनिको वाली राज़करास सेना बनाई।
           भारत सरकार उत्सुकता से हैदराबाद की तरफ देख रही थी और सोच रही थी की हैदराबाद के निजाम खुद भारत संघ में सम्मिलित हो जायेंगे। लेकिन राज़करास सेना की दुर्दांतता के कारण सरदार पटेल ने हैदराबाद को जबरदस्ती कब्जाने का फैसला किया था। सरदार पटेल ने ये काम पुलिस के द्वारा किया जिसमे सिर्फ पांच दिन लगे राज़करास की मुस्लिम सेना आसानी से हार गई।
           अभियान के दौरान व्यापक तौर पर जातिगत हिंसा हुई थी, अभियान समाप्ति के बाद नेहरू ने इसपे जाँच के लिए एक कमिटी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट साल 2014 सार्वजनिक हुई। अर्थात रिपोर्ट को जारी ही नहीं किया गया था, रिपोर्ट बनाने के लिए सुन्दरलाल कमिटी बानी थी, रिपोर्ट के मुताबिक इस अभियान में 27 से 40 हजार जाने गई थी हालाँकि जानकार ये आंकड़ा दो लाख से भी ज्यादा बताते हैं।
               मुस्लिम लीग के निर्माता जिन्ना के प्रभाव में हैदराबाद के निजाम नवाब बहादुर जंग ने लोकतंत्र को नहीं माना था, नवाब ने काज़मी रज्मी को जो की एमआईएम ( मजलिसे एत्तहुड मुस्लिमीन) का प्रमुख लीडर था ने राजकारस सेना बनाई थी जो करीब दो लाख के तादात में थी। मुस्लिम आबादी बढ़ने के लिए उसने हैदराबाद में लूटपाट मचा दी थी, जबरन हिन्दू औरतो के रेप सामूहिक हत्याकांड करने शुरू कर दिए थे। क्योंकि हिन्दू हैदराबाद को भारत में चाहते थे. पांच हजार से ज्यादा हिन्दुओ को राजकारस मार चुके थे जो की आधिकारिक आंकड़े है, हैदराबाद के निजाम को पाकिस्तान से म्यांमार के रास्ते लगातार हथियार और पैसे की मदद मिल रही थी।
                  ऑस्ट्रेलिया की कंपनी भी उन्हें हथियार सप्लाई कर रही थी, तब पटेल ने तय किया की इस तरह तो हैदराबाद भारत के दिल में नासूर बन जायेगा और तब आर्मी ऑपरेशन पोलो को प्लान किया गया।

*13 सिंतबर 1948 में भारत की वो सैन्य कार्रवाई, जिसके बाद हैदराबाद भारत का अंग बन गया*
                   13 सितंबर 1948. ये वो तारीख है जब भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो को अंजाम दिया. इस आपरेशन का खेल से कोई लेना देना नहीं था बल्कि ये भारतीय सेना की हैदराबाद में विलय के लिए सैन्य कार्रवाई थी. भारत के इस कदम से पाकिस्तान बहुत छटपटाया. उसने संयुक्त राष्ट्र में भी इस मामले को उठाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. क्षेत्रफल के लिहाज से तब हैदराबाद रियासत इंग्लैंड और स्काटलैंड के कुल भूभाग से कहीं ज्यादा बड़ी थी.
अंग्रेज़ों के दिनों में भी हैदराबाद की अपनी सेना, रेल सेवा और डाक तार विभाग हुआ करता था. आबादी और सकल राष्ट्रीय उत्पाद की दृष्टि से हैदराबाद भारत का सबसे बड़ा राजघराना था. क्षेत्रफल था 82697 वर्ग मील. निजाम ने भरपूर कोशिश की कि उनकी रियासत किसी हालत में भारत में नहीं मिल पाए. उन्होंने पाकिस्तान के कायदेआजम जिन्ना को काफी मोटी रकम इस बात के लिए दी थी कि वो हैदराबाद को भारत में नहीं देने को लेकर मदद करेंगे. जिन्ना ने उन्हें इसका भरपूर आश्वासन भी दिया था. इसके अलावा निजाम के रिश्ते कई और देशों से भी थे. सबसे बड़ी बात निजाम की शादी तुर्की के आखिरी खलीफा की बेटी से हुई थी. उन्हें टाइम मैगजीन ने दुनिया का सबसे धनी शख्स भी आंका था.

🛂 *जिन्ना को संदेश*
                   हैदराबाद की आबादी के अस्सी फ़ीसदी हिंदू थे जबकि अल्पसंख्यक होते हुए भी मुसलमान प्रशासन और सेना में महत्वपूर्ण पदों पर बने हुए थे. इतिहासकार केएम मुंशी की किताब ''एंड ऑफ एन एरा'' में लिखा है कि निजाम ने जिन्ना को संदेश भेजकर जानने की कोशिश की क्या भारत के खिलाफ लड़ाई में वह हैदराबाद का समर्थन करेंगे?

भारतीय सेना की हैदराबाद में 13 सितंबर 1948 को हुई कार्रवाई
पटेल चाहते थे किसी भी सूरत में विलय
                 प्रधानमंत्री नेहरू और माउंटबेटन इस पक्ष में थे कि पूरे मसले का हल शांतिपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए. सरदार पटेल इससे सहमत नहीं थे. उनका मानना था कि उस समय का हैदराबाद 'भारत के पेट में कैंसर के समान था', जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. पटेल को अंदाज़ा था कि हैदराबाद पूरी तरह से पाकिस्तान के कहने में था. यहां तक कि पाकिस्तान पुर्तगाल के साथ हैदराबाद का समझौता कराने की फिऱाक़ में था जिसके बाद वो गोवा में अपने लिए बंदरगाह बनवाना चाहता था.
राष्ट्रमंडल का सदस्य बनने की भी इच्छा थी! और तो और हैदराबाद के निजाम ने राष्ट्रमंडल का सदस्य बनने की भी इच्छा जाहिर की थी, जिसे एटली सरकार ने ठुकरा दिया था. निज़ाम के सेनाध्यक्ष मेजर जनरल एल एदरूस ने अपनी किताब ''हैदराबाद ऑफ़ द सेवेन लोव्स'' में लिखा है कि निज़ाम ने उन्हें ख़ुद हथियार खऱीदने यूरोप भेजा था. वह अपने मिशन में सफल नहीं हो पाए थे.
           तत्कालीन गृहमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने थल सेनाध्यक्ष करियप्पा को बुलाकर पूछा- क्या हम हैदराबाद में सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार हैं. उनका जवाब था - हां
करियप्पा ने दिया था पटेल को ये जवाब.
                एक समय जब निज़ाम को लगा कि भारत हैदराबाद के विलय के लिए दृढ़संकल्प है तो उन्होंने ये पेशकश भी की कि हैदराबाद को एक स्वायत्त राज्य रखते हुए विदेशी मामलों, रक्षा और संचार की जिम्मेदारी भारत को सौंप दी जाए. पटेल हैदराबाद पर सैन्य कार्रवाई के पक्ष में थे. उसी दौरान पटेल ने जनरल केएम करियप्पा को बुलाकर पूछा कि अगर हैदराबाद के मसले पर पाकिस्तान की तरफ़ से कोई सैनिक प्रतिक्रिया आती है तो क्या वह बिना किसी अतिरिक्त मदद के उन हालात से निपट पाएंगे? करियप्पा ने इसका एक शब्द का जवाब दिया- हां...और इसके बाद बैठक ख़त्म हो गई.
दो बार रद्द हुई सेना की कार्रवाई
इसके बाद सरदार पटेल ने हैदराबाद के खिलाफ सैनिक कार्रवाई को अंतिम रूप दिया. भारत के तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल रॉबर्ट बूचर इस फ़ैसले के खिलाफ थे. उनका कहना था कि पाकिस्तान की सेना इसके जवाब में अहमदाबाद या बंबई पर बम गिरा सकती है. दो बार भारतीय सेना की हैदराबाद में घुसने की तारीख तय की गई लेकिन लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते इसे रद्द करना पड़ा. निज़ाम ने गवर्नर जनरल राजगोपालाचारी से व्यक्तिगत अनुरोध किया कि वे ऐसा न करें.
                    हैदराबाद में भारतीय सेना की कार्रवाई में सबसे ज्यादा हैदराबाद के राजकर मारे गए, जो वहां पुलिस का एक अंग थे
पटेल ने गुप्त योजना बनाई
इसी बीच पटेल ने गुप्त तरीके से योजना को अंजाम देते हुए भारतीय सेना को हैदराबाद भेज दिया. जब नेहरू और राजगोपालाचारी को भारतीय सेना के हैदराबाद में प्रवेश कर जाने की सूचना दी गई तो वो चिंतित हो गए. पटेल ने घोषणा की कि भारतीय सेना हैदराबाद में घुस चुकी है. इसे रोकने के लिए अब कुछ नहीं किया जा सकता. दरअसल नेहरू की चिंता ये थी कि कहीं पाकिस्तान कोई जवाबी कार्रवाई न कर बैठे.

🤺 *ऑपरेशन पोलो*
                       भारतीय सेना की इस कार्रवाई को ऑपरेशन पोलो का नाम दिया गया क्योंकि उस समय हैदराबाद में विश्व में सबसे ज्यादा 17 पोलो के मैदान थे. पाकिस्तान भी चुपचाप नहीं बैठा था. जैसे ही भारतीय सेना हैदराबाद में घुसी, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाक़त अली खान ने डिफ़ेंस काउंसिल की मीटिंग बुलाई. उनसे पूछा कि क्या हैदराबाद में पाकिस्तान कोई ऐक्शन ले सकता है? बैठक में मौजूद ग्रुप कैप्टेन एलवर्दी (जो बाद में एयर चीफ़ मार्शल और ब्रिटेन के पहले चीफ़ ऑफ डिफ़ेंस स्टाफ़ बने) ने कहा 'नहीं.'

हैदराबाद आजादी से पहले भारत की अकेली ऐसी रियासत थी, जिसके पास पुलिस, सेना और डाक सेवाएं थीं.
लियाक़त ने ज़ोर दे कर पूछा 'क्या हम दिल्ली पर बम नहीं गिरा सकते हैं?' एलवर्दी का जवाब था कि हां, ये संभव तो है लेकिन पाकिस्तान के पास कुल चार बमवर्षक हैं, जिनमें से सिर्फ दो काम कर रहे हैं. इनमें से एक शायद दिल्ली तक पहुंच कर बम गिरा भी दे लेकिन इनमें कोई वापस नहीं आ पाएगा.

🏇 *पांच दिन चली कार्रवाई*
            भारतीय सेना की कार्रवाई हैदराबाद में पांच दिनों तक चली, इसमें 1373 रज़ाकार मारे गए. हैदराबाद स्टेट के 807 जवान भी मारे गए. भारतीय सेना ने 66 जवान खोए जबकि 96 जवान घायल हुए. 
      भारतीय सेना की कार्रवाई शुरू होने से दो दिन पहले ही 11 सितंबर 1948 को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का निधन हो गया था.
            संयुक्त राष्ट्र में पाक ने मुंह की खाई पाकिस्तान ने फिर इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाने की कोशिश की, वो इसमें कामयाब भी हुआ. उस समय आठ सदस्यों ने वोट दिया कि इस पर विचार किया जाये. सोवियत संघ, चीन और यूक्रेन ने तटस्थ रहकर एक तरह से भारत का साथ दिया. अगर ये मामला संयुक्त राष्ट्र संघ में उठता तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय तौर पर काफी फायदा मिल सकता था.
संयुक्त राष्ट्र में मामले पर विचार के लिए 17 सितंबर 1948 की तारीख तय की गई. इससे एक दिन पहले ही हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान ने आत्मसमर्पण कर दिया. पाकिस्तान और उसके समर्थकों का चेहरा फीका पड़ गया. रही-सही कसर भारतीय प्रतिनिधियों के बैठक में नहीं आने से पूरी हो गई. यानी पूरा मामला ही खत्म हो गया.
         
                                                                                                                                                                                                                                                      ➖➖➖➖➖➖➖➖➖

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