29 सप्टेंबर दिनविशेष


*29 सप्टेंबर दिनविशेष 2022 !*
          🧩 *गुरवार* 🧩


💥 *जागतिक ह्दय आरोग्य दिन*
         
         🌍 *घडामोडी* 🌍    
 
👉 *2014 - साली समलिगी जोडप्याचा पहिला विवाह इंग्लड आणि वेल्समध्ये पार पडला*         
👉 *2008 - लेहमन ब्रदर्स आणि वांशिग्टन म्युच्युअल या बड्या वित्त
संस्थानी दिवाळखोरी जाहीर केल्यामुळे न्यूयाॅर्क स्टाॅक एक्सचेज चा डाऊ जोन्स निर्देशांक एका दिवसात 778 ने कोसळला ही अमेरिकन शेअरबाजारात एका दिवसात झालेली सर्वाधिक घट आहे*

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*विदर्भ प्राथमिक शिक्षक संघ नागपूर* 
(प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ नागपूर विभाग नागपूर) 
9860214288, 9423640394
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🌍 *जन्म*

👉 *1938 - चे पदार्थ विज्ञानातील नोबेल पारितोषिक विजेते इटालियन अमेरिकन भौतिकशास्त्रज्ञ  यांचा जन्म*
👉 *1947 - साली भारतीय सर्वोच्च न्यायालयाचे माजी सरन्यायाधीश एस.एच.कपाडिया  यांचा जन्म*

🌍 *मृत्यू*

👉 *2017 - साली अमेरिकन वंशीय भारतीय चिञपट अभिनेते व दुरदर्शन कलाकार टाॅम आल्टर यांचे निधन*
👉 *2004 - साली पद्मभूषण पुरस्कार व साहित्य अकादमी पुरस्कार सन्मानित प्रसिद्ध भारतीय मल्ल्याळम भाषिक कवयित्री बालमणी अम्मा यांचे  निधन*
 
🙏 *मिलिंद विठ्ठलराव वानखेडे*🙏
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*आजच्या बातम्या*

१. Exclusive : 'देवदूत शीघ्र प्रतिसाद' वाहन खरेदीत कोट्यवधींचा घोटाळा, 12 ते 17 लाखांची गाडी दोन कोटींना खरेदी   

२. केंद्रीय कर्मचाऱ्यांना सरकारची मोठी भेट, महागाई भत्त्यात 4 टक्क्यांची वाढ 

३. महाराष्ट्राच्या सत्तासंघर्षाची सुनावणी एक महिना पुढे, 1 नोव्हेंबरला होणार सुनावणी  निवडणूक आयोगात ठाकरे गटाची पहिली रणनीती ठरली! 

४. ठाकरे गटाकडून दसरा मेळाव्याची जय्यत तयारी; आजपर्यंत झाला नाही असा मेळावा भरवा, पदाधिकाऱ्यांना सूचना  ठाकरे-शिंदे गट पुन्हा आमनेसामने येणार, आनंद दिघे यांच्या देवीची रश्मी ठाकरे आरती करणार, दिघेंची देवी कोणत्या गटाला पावणार? 

५. केंद्र सरकारकडून पीएफआयवर पाच वर्षांची बंदी  पीएफआयवर बंदी का घातली? केंद्र सरकारने सांगितली कारणं  केवळ PFIच नाही तर, SIMI ते SFJ... 'या' 42 संघटनांवरही देशात बंदी

७. NIA चा पीएफआयला आणखी एक दणका, देशभरातील 34 बँक खाती गोठवली  देशविघातक संघटनांचा बंदोबस्त केलाच पाहिजे, मुख्यमंत्र्यांकडून पीएफआयवरील बंदीचे स्वागत     PFI वर केंद्राकडून बंदी; आता, RSS वर बंदी घालण्याची मागणी 

८. राज्यातील स्थानिक स्वराज्य संस्थांमधील निवडणुका लांबणीवर पडण्याची शक्यता, सुप्रीम कोर्टातील सुनावणी लांबणीवर 

९. शिवाजी विद्यापीठ युजीसीच्या 'कॅटेगरी वन'मध्ये दाखल, राज्यातील दोनच विद्यापीठांचा समावेश 

१०. सरस्वतीचे फोटो काढले जाणार नाहीत, कोणाला काय वाटेल ते करणार नाही : मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे 

११. भारत आणि दक्षिण आफ्रिका यांच्यातील पहिल्या टी 20 सामन्यातील लाईव्ह अपडेट एका क्लिकवर (लिंक) कर्णधार रोहित शर्माला मागं टाकण्यासाठी विराट सज्ज; टी-20 क्रिकेटमध्ये रचणार इतिहास

*डिजिटल*

१. Shiv Sena Formation Story : दादर नव्हे तर चेंबूरमध्ये झाली होती शिवसेना स्थापनेची घोषणा

*स्पेशल*

1. चीनच्या सीमेवर 'स्त्री शक्ती'चा डंका, महिला फायटर पायलट्स करतायत भारताचं संरक्षण, सुखोई 30 मधून घेतलं उड्डाण 

2. हिंगोलीतील शेतकऱ्याच्या मुलाची कमाल, अमेरिकेतील अव्वल दर्जाच्या एमआयटी विद्यापीठात प्रवेश 

६. मराठमोळ्या 'पल्याड' चित्रपटाचा डंका; आंतरराष्ट्रीय मासिक 'फोर्ब्स'ने घेतली दखल
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*GENERAL KNOWLEDGE*

◆ Name the biggest state of India?
Ans. : *Rajasthan*

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        *STORY TELLING*

*The Bear and Two Friends*

One day, two best friends were walking on a lonely and dangerous path through a jungle. As the sun began to set, they grew afraid but held on to each other. Suddenly, they saw a bear in their path. One of the boys ran to the nearest tree and climbed it in a jiffy.
The other boy did not know how to climb the tree by himself, so he lay on the ground, pretending to be dead. The bear approached the boy on the ground and sniffed around his head. After appearing to whisper something in the boy’s ear, the bear went on its way. The boy on the tree climbed down and asked his friend what the bear had whispered in his ear. He replied, “Do not trust friends who do not care for you.”

*Moral of the Story :*
A friend in need is a friend indeed.

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  *SPECIAL INTRODUCTION*

    *Madam Bhikaiji Cama*

Born to an extremely wealthy Parsi business family, Bhikaiji Cama (née Patel) received her early education in Bombay (now Mumbai). Influenced by an environment in which the Indian nationalist movement was taking root, she was drawn toward political issues at an early age. In 1885 she married Rustomji Cama, a well-known lawyer, but her involvement with sociopolitical issues led to differences between the couple. Because of marital problems and her poor health, which required medical attention, Cama left India for London.
It was in London that Bhikaji Cama met Dadabhai Naoroji and inspired by his ideals plunged into the freedom movement. She also began to meet with other Indian nationalists like Shyamji Varma, Lala Hardayal, and soon became one of the active members of the movement. She began to publish booklets for the Indian community in England, propagating the cause of Swaraj. “March forward! We are for India. India is for Indians!” she defiantly declared. She also toured US, where she gave speeches on the ill effects of British rule, and urged Americans to support the cause of India’s freedom.
Madam Bhikaiji Cama became the first person to hoist the Indian flag in foreign land on 22 August 1907. While unfurling the flag at the International Socialist Conference in Stuttgart, Germany, she appealed for equality and autonomy from the British which had taken over the Indian sub-continent.

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               *PASAYDAN*
                 *SILENCE*
*All students will keep silence for two minutes.*
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*Milind V. Wankhede*
*Headmaster*
*Prakash Highschool and junior college kandri mine*
*9860214288*
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*🇮🇳 आझादी का अमृत महोत्सव 🇮🇳*
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       🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
                 ▬ ❚❂❚❂❚ ▬                  संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,          
             चंद्रपूर 9403183828                                                      
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         *क्रांतिकारी मातंगिनी हाजरा*

*जन्म : 19 अक्टूबर, 1870*
          (होगला, मिदनापुर  
      ज़िला, बंगाल प्रेसिडेन्सी)
*विरगती : 29 सितम्बर,1942*
    (तामलुक, बंगाल प्रेसिडेन्सी,   
                       ब्रिटिश भारत )

उपनाम : गांधी बुढी
मृत्यु कारण : शहादत
नागरिकता : भारतीय
                    मातंगीनी हाज़रा  एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया जब तक कि 29 सितंबर, 1942 को तमलुक पुलिस स्टेशन (पूर्वी मिदनापुर जिले के) के सामने ब्रिटिश भारतीय पुलिस ने उन्हें मार डाला। गांधी बुढी के रूप में उन्हे जाना जाता है l
            मातंगिनी हाजरा का जन्म पूर्वी बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) मिदनापुर जिले के होगला ग्राम में एक अत्यन्त निर्धन परिवार में हुआ था। गरीबी के कारण 12 वर्ष की अवस्था में ही उनका विवाह ग्राम अलीनान के 62 वर्षीय विधुर त्रिलोचन हाजरा से कर दिया गया। इस पर भी दुर्भाग्य उनके पीछे पड़ा रहा। छह वर्ष बाद वह निःसन्तान ही विधवा हो गयीं। पति की पहली पत्नी से उत्पन्न पुत्र उससे बहुत घृणा करता था। अतः मातंगिनी एक अलग झोपड़ी में रहकर मजदूरी से जीवनयापन करने लगीं। गाँव वालों के दुःख-सुख में सदा सहभागी रहने के कारण वे पूरे गाँव में माँ के समान पूज्य हो गयीं।
        1932 में गान्धी जी के नेतृत्व में देश भर में स्वाधीनता आन्दोलन चला। वन्देमातरम् का घोष करते हुए जुलूस प्रतिदिन निकलते थे। जब ऐसा एक जुलूस मातंगिनी के घर के पास से निकला, तो उसने बंगाली परम्परा के अनुसार शंख ध्वनि से उसका स्वागत किया और जुलूस के साथ चल दी। तामलुक के कृष्णगंज बाजार में पहुँचकर एक सभा हुई। वहाँ मातंगिनी ने सबके साथ स्वाधीनता संग्राम में तन, मन, धन से संघर्ष करने की शपथ ली।
        मातंगिनी को अफीम की लत थी; पर अब इसके बदले उनके सिर पर स्वाधीनता का नशा सवार हो गया। 17 जनवरी, 1933 को ‘करबन्दी आन्दोलन’ को दबाने के लिए बंगाल के तत्कालीन गर्वनर एण्डरसन तामलुक आये, तो उनके विरोध में प्रदर्शन हुआ। वीरांगना मातंगिनी हाजरा सबसे आगे काला झण्डा लिये डटी थीं। वह ब्रिटिश शासन के विरोध में नारे लगाते हुई दरबार तक पहुँच गयीं। इस पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और छह माह का सश्रम कारावास देकर मुर्शिदाबाद जेल में बन्द कर दिया।

🌀 *क्रांतिकारी गतिविधियाँ*
              नसन 1930 के आंदोलन में जब उनके गाँव के कुछ युवकों ने भाग लिया तो मातंगिनी ने पहली बार स्वतंत्रता की चर्चा सुनी। 1932 में उनके गाँव में एक जुलूस निकला। उसमें कोई भी महिला नहीं थी। यह देखकर मातंगिनी जुलूस में सम्मिलित हो गईं। यह उनके जीवन का एक नया अध्याय था। फिर उन्होंने गाँधीजी के 'नमक सत्याग्रह' में भी भाग लिया। इसमें अनेक व्यक्ति गिरफ्तार हुए, किंतु मातंगिनी की वृद्धावस्था देखकर उन्हें छोड़ दिया गया। उस पर मौका मिलते ही उन्होंने तामलुक की कचहरी पर, जो पुलिस के पहरे में थी, चुपचाप जाकर तिरंगा झंडा फहरा दिया। इस पर उन्हें इतनी मार पड़ी कि मुँह से खून निकलने लगा। सन 1933 में गवर्नर को काला झंडा दिखाने पर उन्हें 6 महीने की सज़ा भोगनी पड़ी।

🙋 *भारत छोड़ो आंदोलन में*
                 ,भारत छोड़ो आंदोलन के एक भाग के रूप में, कांग्रेस के सदस्यों ने मिदनापुर जिले के विभिन्न पुलिस स्टेशनों और अन्य सरकारी कार्यालयों को लेने की योजना बनाई। यह जिला में ब्रिटिश सरकार को उखाड़ फेंकने और एक स्वतंत्र भारतीय राज्य की स्थापना में एक कदम था। मातंगिनी हजरा, जो 73 वर्ष का थीl
                   उस समय के वर्षों में, तमिलनाडु थाने पर कब्जा करने के उद्देश्य से छह हजार समर्थकों की जुलूस, ज्यादातर महिला स्वयंसेवकों का नेतृत्व किया। जब जुलूस शहर के बाहरी इलाके में पहुंच गया, तो उन्हें क्राउन पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 144 के तहत विस्थापित करने का आदेश दिया गया। जैसे ही वह आगे बढ़े, मातंगीनी हाज़रा को एक बार गोली मार दी गई। जाहिर है, उसने आगे कदम रखा था और पुलिस को अपील की थी कि वह भीड़ पर शूट न करें।
                          भारत छोड़ने के दौरान, मिदनापुर के लोगों ने थाना, अदालत और अन्य सरकारी कार्यालयों पर कब्जा करने के लिए हमले की योजना बनाई थी। मातंगिनी, जो तब 72 वर्ष के थे, ने जुलूस का नेतृत्व किया। पुलिस ने आग लगा दी एक बुलेट ने अपना हाथ मारा निश्चय ही उसने पुलिस को अपील करने के लिए अपने स्वयं के भाइयों पर गोली मारने की कोशिश नहीं की। एक और बुलेट ने उसके माथे को छेड़ा। वह नीचे गिर गई, औपनिवेशिक आंदोलन के प्रतीक, उसके हाथ में स्वतंत्रता का झंडा पकड़ कर। 

🙎 *साहसिक महिला*
              इसके बाद सन 1942 में 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के दौरान ही एक घटना घटी। 29 सितम्बर, 1942 के दिन एक बड़ा जुलूस तामलुक की कचहरी और पुलिस लाइन पर क़ब्ज़ा करने के लिए आगे बढ़ा। मातंगिनी इसमें सबसे आगे रहना चाहती थीं। किंतु पुरुषों के रहते एक महिला को संकट में डालने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। जैसे ही जुलूस आगे बढ़ा, अंग्रेज़ सशस्त्र सेना ने बन्दूकें तान लीं और प्रदर्शनकारियों को रुक जाने का आदेश दिया। इससे जुलूस में कुछ खलबली मच गई और लोग बिखरने लगे। ठीक इसी समय जुलूस के बीच से निकलकर मातंगिनी हज़ारा सबसे आगे आ गईं।

🇮🇳 *शहादत*
               मातंगिनी ने तिरंगा झंडा अपने हाथ में ले लिया। लोग उनकी ललकार सुनकर फिर से एकत्र हो गए। अंग्रेज़ी सेना ने चेतावनी दी और फिर गोली चला दी। पहली गोली मातंगिनी के पैर में लगी। जब वह फिर भी आगे बढ़ती गईं तो उनके हाथ को निशाना बनाया गया। लेकिन उन्होंने तिरंगा फिर भी नहीं छोड़ा। इस पर तीसरी गोली उनके सीने पर मारी गई और इस तरह एक अज्ञात नारी 'भारत माता' के चरणों मे शहीद हो गई।
                इस बलिदान से पूरे क्षेत्र में इतना जोश उमड़ा कि दस दिन के अन्दर ही लोगों ने अंग्रेजों को खदेड़कर वहाँ स्वाधीन सरकार स्थापित कर दी, जिसने 21 महीने तक काम किया।
        दिसम्बर, 1974 में भारत की प्रधानमन्त्री इन्दिरा गान्धी ने अपने                                                                                                                                                                                                                                                     ➖➖➖➖➖➖➖➖➖

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