1 ऑक्टोबर दिनविशेष


*१ आक्टोबर दिनविशेष 2022*:

🧩 *शनिवार*🧩


💥जागतिक ज्येष्ठ नागरिक दिन_*
💥 *_१ आक्टोबर ते ७ आक्टोबर : वन्य जीव सप्ताह_*

      🌍 *_घडामोडी_*🌍

२००५ : इंडोनेशियातील बाली बेटांवर बॉम्बस्फोटांत १९ जण ठार झाले.
१९६० : नायजेरियाला (युनायटेड किंगडमपासुन) स्वातंत्र्य मिळाले.
१९५९ : भुवनेशप्रसाद सिन्हा यांनी भारताचे ६ वे सरन्यायाधीश म्हणुन कार्यभार सांभाळला.
१९५८ : भारतात दशमान (मेट्रिक) पद्धत वापरण्यास सुरूवात झाली.

        🌍 *जन्मदिवस*🌍

_१९१९ : गजानन दिगंबर तथा ग. दि. माडगूळकर – गीतकार, कवी, लेखक, पटकथाकार, अभिनेते. गीतरामायणामुळे त्यांना ’महाराष्ट्राचे वाल्मिकी’ म्हणून ओळखले जाते._ 
_१९१९ : मजरुह सुलतानपुरी – दादासाहेब फाळके पुरस्कार विजेते (१९९३) शायर, गीतकार आणि कवी यांचा जन्म 

          🌍*_मृत्यू _*🌍

_१९९७ : गुल मोहम्मद – जगातील सर्वात बुटकी व्यक्ती यांचे निधन 

🙏मिलिंद विठ्ठलराव वानखेडे 🙏
                                                                                                                    ▬▬▬▬➖➖➖▬▬▬▬                                           🎯 _*आजच्या बातम्या*_
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■ *68 व्या राष्ट्रीय चित्रपट पुरस्कार सोहळ्यात मराठी सिनेसृष्टीचा बोलबाला; 'गोष्ट एका पैठणीची' या सर्वोत्कृष्ट मराठी सिनेमाला सुवर्णकमळ प्रदान*
■ *पंतप्रधान नरेंद्र मोदींनी गांधीनगर-मुंबई 'वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन'ला दाखवला हिरवा झेंडा, मुंबईकरांसाठी उद्यापासून सेवेत*
■ *महाराष्ट्राचं सुवर्णपदकाचं खातं उघडलं, पुरुषांच्या दहा मीटर एअर रायफलमध्ये नेमबाज रुद्रांक्ष पाटीलचा सुवर्णवेध*
■ *दुकानात मराठी पाटी नसल्यास कारवाई*
■ *पुणे जिल्हाधिकारी कार्यालयातील कागदपत्रे वाऱ्याने उडाली- मुसळधार पावसाचा कार्यालयाला फटका*
■ *बारावीच्या विद्यार्थ्यांना मिळणार रोजगारावर आधारित शिक्षण-शिक्षण मंत्री दीपक केसकर*
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*सामान्य ज्ञान*

*1)  कर्मवीर भाऊराव पाटील  यांचा जन्म कधी झाला ?*
22 सप्टेंबर 1887✅
*2) कर्मवीर भाऊराव पाटील  यांचा जन्म .......... येथे झाला.*
कुंभोज✅
*3) ............ मध्ये कर्मवीर भाऊराव पाटील यांनी ‘रयत शिक्षण संस्थेची स्थापना केली*
1919✅
*4) सन. 1959 साली  भारतीय केंद्रशासनाने कर्मवीर भाऊराव पाटील यांना ............ पुरस्कार देऊन गौरवले.*
पद्मभूषण✅
*5) कर्मवीर भाऊराव पाटील  यांच्या आईचे नाव काय होते ?*
गंगाबाई✅
*6)  ............. विद्यापीठाने कर्मवीर भाऊराव पाटील यांना  इसवी सन  1959 मध्ये सन्माननीय डी. लिट. ही पदवी दिली होती.*
पुणे✅
*7) .......... येथे कर्मवीरांचे समाधिस्थान व कर्मवीर स्मृतिभवन आहे. तेथे भाऊराव पाटलांच्या स्मृती जतन करण्यात आल्या आहेत.*
सातारा✅
*8) भाऊराव पाटील यांनी ‘रयत शिक्षण संस्थेची स्थापना सातारा जिल्ह्यातील  ......... या गावी केली.*
काले✅
*9) पुढील विधान चूक की बरोबर ते सांगा. -  महाराष्ट्राच्या जनतेने भाऊराव पाटलांचा कर्मवीर ही पदवी देऊन गौरव केला.*
बरोबर✅
*10) कर्मवीर भाऊराव पाटील यांचे निधन कधी झाले ?*
9 मे 1959✅
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◆━━━━━━━━━━━◆                                               👩‍💻 *बोधकथा* 👨‍💻.                                                                                                         
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🛑 *यशोविजय पंडित*🛑               

*_आजपासून तीन शतकांपूर्वी यशोविजय नावाचा एक विख्‍यात प्रकांड पंडित होऊन गेला. तो अनेक विषयांत निपुण होता. त्‍याच्‍या बाबतीत असे सांगण्‍यात येते की एकदा त्‍याला पंडीतांमार्फत एक विषय देण्‍यात आला होता. त्‍या विषयानुसार तो संस्‍कृतमध्‍ये बोलत राहिला. मात्र हळूहळू त्‍याला आपल्‍या पांडित्‍याचा गर्व होऊ लागला. व्‍याख्‍यानाच्‍यावेळी त्‍याच्‍या सांगण्‍यावरून त्‍याचे शिष्‍य चारही बाजूंनी झेंडे लावत असत. याचा अर्थ असा की, चारही दिशांमध्‍ये त्‍याचे नाव झाले आहे. विद्वत्ता आणि सफलता याचे प्रदर्शन अन्‍य शिष्‍यांना योग्‍य वाटत नव्‍हते. पण त्‍याला विचारण्‍याचे कोणीच धाडस करत नव्‍हते. एकेदिवशी एका शिष्‍याने त्‍याला मोठ्या हुशारीने विचारले, ''गुरुदेव, आपले पांडित्‍य धन्‍य आहे, मी मोठा भाग्‍यवान आहे की आपल्‍यासारख्‍या महापुरुषाचे दर्शन मला झाले, आपल्‍या सत्‍संगाचा लाभ झाला. एक प्रश्‍न मला बरेच दिवसापासून पडतो आहे पण धाडस करून हे विचारतो की, आपण जर इतके विद्वान आहात तर आपले गुरु व गुरुंचे गुरु किती मोठे विद्वान होते?'' पंडीत म्‍हणाले,''मी तर त्‍या दोघांपुढे काहीच नाही. त्‍यांच्‍या चरणाच्‍या धुळीइतकेसुद्धा मला ज्ञान नाही'' शिष्‍य म्‍हणाला,'' ते इतके विद्वान होते तर तेसुद्धा आपल्‍यासारखेच चारी बाजूंना झेंडे लावत असत का?'' पंडीताला आपली चूक समजली व त्‍याचे हृदय अहंकाररहित झाले._*

*_तात्‍पर्य:-ज्ञानाचे महत्‍व तेव्‍हाच असते जेव्‍हा ते ज्ञान अभिमानमुक्त असेल. अहंकाररहित ज्ञानच खरे मार्गदर्शक असते. अहंकाराने बाधित ज्ञान सर्वनाशाला कारणीभूत
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*मिलिंद व्हि वानखेडे*
*मुख्याध्यापक*
*प्रकाश हायस्कूल व ज्युनिअर कॉलेज कान्द्री-माईन* 
*9860214288*
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*🇮🇳 आझादी का अमृत महोत्सव 🇮🇳*
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       🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
                 ▬ ❚❂❚❂❚ ▬                  संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,          
             चंद्रपूर 9403183828                                                      
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      *सरदार प्रताप सिंह कैरों*
    *जन्म : 1 अक्टूबर, 190*
            (अमृतसर)
    *मृत्यु : 6 फ़रवरी, 1965*
नागरिकता : भारतीय
पार्टी : कांग्रेस
पद : पंजाब के मुख्यमंत्री
कार्य काल 1956 से 1964 तक
शिक्षा : एम.ए.
विद्यालय : मिशिगन विश्वविद्यालय, अमरीका
अन्य जानकारी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिये अमरीका में 'ग़दर पार्टी' के नाम से जो संस्था स्थापित हुई थी, उसके कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लिया। भारत वापस आने पर 1926 ई. में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और तब से स्वतंत्रता प्राप्त होने तक कांग्रेस के आंदोलनों में निरंतर भाग लेते रहे और जेल गए।
प्रताप सिंह कैरों  प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रमुख नेता थे। उस समय 'पंजाब' के अन्तर्गत हरियाणा और हिमाचल प्रदेश भी थे।

💁🏻‍♂️ *जीवन परिचय*
प्रताप सिंह का जन्म 1 अक्टूबर 1901 को अमृतसर ज़िले के 'कैरों' नामक ग्रामक ग्राम में हुआ था। खालसा कालेज से बी.ए. कर अमरीका गए और वहाँ के मिशिगन विश्वविद्यालय से एम.ए. किया; और वहीं वे भारत की राजनीति की ओर अग्रसर हुए। भारतीय स्वतंत्रता के लिये अमरीका में 'ग़दर पार्टी' के नाम से जो संस्था स्थापित हुई थी, उसके कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। भारत वापस आने पर 1926 ई. में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और तब से स्वतंत्रता प्राप्त होने तक कांग्रेस के आंदोलनों में निरंतर भाग लेते रहे और जेल गये !                                                                                                                             
⚜️ *पंजाब के मुख्यमंत्री*
भारत के स्वाधीन होने के पश्चात् विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और पंजाब के मुख्यमंत्री बने। जिन दिनों वे मुख्यमंत्री थे उन दिनों पंजाब की राजनीतिक स्थिति अत्यंत विस्फोटक थी। उन दिनों मास्टर तारासिंह के नेतृत्व में स्वतंत्र पंजाब का आंदोलन जोरों से चल रहा था। प्रांत में एक प्रकार की अराजकता फैली हुई थी। कैरों ने अपने सुदृढ़ व्यक्तित्व और राजनीतिक दूरदर्शिता से आंदोलन का सामना किया और उनकी कूटनीति आंदोलन के मुख्य स्तंभ मास्टर तारा सिंह और संत फ़तह सिंह में फूट उत्पन्न करने में सफल हुई तथा आंदोलन छिन्न भिन्न हो गया। वे एक स्थिर और प्रभावशाली शासक के रूप में उभरकर सामने आए। उन्होंने अपने प्रदेश की आर्थिक अवस्था को विकसित करने का सर्वागीण प्रयास किया। उद्योग और कृषि दोनों ही क्षेत्रों में पंजाब में अभूतपूर्व उन्नति की। 1962 ई. में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो कैरों ने अपने प्रदेश से जन और धन से जैसी सहायता की वह अपने आप में एक इतिहास है।

⚛️ *विशेष योगदान*
1929 में शिरोमणि अकाली दल में सम्मिलित होकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान दिया। कैरों ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया और 1932 में पाँच वर्ष के लिए जेल में बंद कर दिये गये। भारत छोड़ो आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रताप सिंह कैरों ने अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में विकास के अनेक कार्य पूरे किये। इनमें मुख्य भाखडा-नांगल बांध, कुरुक्षेत्र और पटियाला की पंजाब यूनिवर्सिटी, लुधियाना का कृषि विश्वविद्यालय, हिसार का पशु चिकित्सा कॉलेज प्रमुख थे। इन्होंने पंजाब के औद्योगीकरण के लिए भी कई कदम उठाये।
🔮 *एक घटना*
सरदार प्रताप सिंह कैरो, स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ बड़े क़द्दावर नेता थे। एक बार दिल्ली से चंडीगढ़ जा रहे थे। उनके साथ उनके संसदीय सचिव चौधरी देवीलाल भी थे। सरदार कैरों की गाड़ी तेज़ी से भाग रही थी कि एक कुत्ता बीच में आ गया। कुत्ते की मौत हो गई। सरदार कैरों ने थोड़ी दूर जाकर गाड़ी रुकवाई। सड़क किनारे दो चक्कर लगाए और देवीलाल जी को बुलाया। उन्होंने पूछा, देवीलाल ये बताओ कुत्ता क्यों मरा? काफ़ी सोचने के बाद देवीलाल ने कहा कि कुत्ते तो मरते रहते हैं, यूं ही मर गया होगा। सरदार प्रताप सिंह कैरों ने फिर पूछा, बताओ कुत्ता क्यों मरा? देवीलाल जी खामोश रहे, फिर कहा कि आप ही बताइये। तब सरदार प्रताप सिंह कैरों ने देवीलाल से कहा कि यह कुत्ता इसलिए मरा, क्योंकि यह फैसला नहीं कर पाया कि सड़क के इस किनारे जाना है या उस किनारे, फैसला न लेने की वजह से वह बीच में खड़ा रह गया। अगर इसने फैसला कर लिया होता तो सड़क के इस किनारे या उस किनारे चला गया होता और बच जाता। फैसला नहीं लेने की वजह से यह कुत्ता मारा गया। देवीलाल को राजनीति का मंत्र मिल गया। उन्होंने जीवन भर इसका पालन किया। वह कभी बीच में नहीं रहे। राजनीति में उन्होंने हमेशा फैसला लिया। हमेशा इधर या उधर खड़े रहे। इसी सीख की वजह से वह देश के उपप्रधानमंत्री भी बने।

🪔 *निधन*
अपने कार्यकाल के दौरान ही उन पर व्यक्तिगत पक्षपात और भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्हें 1964 ई. में मुख्यमंत्री पद का परित्याग करना पड़ा। उसके कुछ ही दिनों बाद 1965 के आरंभ में एक दिन जब वह मोटर कार द्वारा दिल्ली से वापस लौट रहे थे, मार्ग में कुछ लोगों ने उन्हें गोली मार दी और तत्काल उनकी मृत्यु हो गई।
        🇮🇳 *वंदे मातरम्...!* 🇮🇳
              🇮🇳 *जयहिंद* 🇮🇳

🙏🌹 *शत् शत् नमन* 🌹🙏

                                                                                                                                                                                                                                                          ➖➖➖➖➖➖➖➖➖

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