13 ऑक्टोबर दिनविशेष


*13 ऑक्टोबर दिनविशेष 2022 !*
        🧩 *गुरवार* 🧩

💥 *आंतरराष्ट्रीय नैसर्गिक आपत्ती निवारण दिन*
   
     
         🌍 *घडामोडी* 🌍    
 
👉 *2013 - मध्यप्रदेश मध्ये झालेल्या चेगराचेगरीत 115 जण ठार आणि 110 जण जखमी झाले*         
👉 *1983 - अमेरिटेक मोबाईल कम्युनिकेशन्सन (आताची ए.टी.ॲड.टी)या कंपनीचे अमेरिकेतील पहिली सेल्फफोनची यञंणा सुरु केली*

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*विदर्भ प्राथमिक शिक्षक संघ नागपूर* 
(प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ नागपूर विभाग नागपूर) 
9860214288, 9423640394
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🌍 *जन्म*

👉 *1943 - सऊबर एफ - 1 चे संस्थापक पीटर सऊबर   यांचा जन्म*
👉 *1936 - भारतीय वीणा वादक आणि संगीतकार चित्ती बाबू यांचा जन्म*

        🌍 *मृत्यू*🌍

👉 *2003 - नोबेल पारितोषिक विजेते केनेडियन भौतिकशास्त्रज्ञ बर्ट्राम ब्राॅकहाऊस  यांचे निधन*
👉 *2001 - कुष्टरोगतज्ज्ञ नामवंत शल्यचिकित्सक डाॅ.जाल मिनोचर  यांचे  निधन*
 
🙏 *मिलिंद विठ्ठलराव वानखेडे*🙏
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*आजच्या बातम्या*

१.न्यायिक पुनरावलोकनाची 'लक्ष्मण रेषा' जाणतो, पण नोटबंदीची समीक्षा आवश्यक; प्रतिज्ञापत्र सादर करण्याचं केंद्र सरकार, RBI ला सर्वोच्च न्यायालयाचे निर्देश  

२. ऋतुजा लटके यांचा राजीनामा मंजूर न करण्यासाठी पालिका आयुक्तांवर दबाव; ठाकरे गटाचा आरोप  ऋतुजा लटके यांचा राजीनामा मंजूर करण्याचं काम सुरू, 30 दिवस लागतील; इक्बाल सिंह चहल यांचं स्पष्टीकरण 

३. शिंदे गट सर्वात मोठा डाव टाकण्याच्या तयारीत; अंधेरी पूर्व पोटनिवडणुकीसाठी थेट ऋतुजा लटकेंनाच आपल्या बाजूनं वळवणार?  निवडणूक लढवणार तर ती मशाल चिन्हावरच, आमची निष्ठा उद्धव साहेबांसोबतच; ऋतुजा लटकेंनी स्पष्टच सांगितलं  भाजपचे मुरजी पटेल उद्या उमेदवारी अर्ज भरणार, पक्षादेश आला तर माघार घेण्याची तयारी..  

४. राजकारणात काहीही शक्य! सीपीआयचे नेते मातोश्रीवर, अंधेरी पूर्व पोटनिवडणुकीत शिवसेनेला दिला पाठिंबा 

५. खासगी बसच्या सुरक्षेचा प्रश्न पुन्हा ऐरणीवर.. 29 प्रवाशांसह भीमाशंकरला निघालेली खासगी बस पेटली; सर्व प्रवासी सुखरुप 

६. काय सांगता! लम्पीच्या अनुषंगाने गोठ्यातील स्वच्छता, धूर फवारणी जनजागृतीची जबाबदारी आता शिक्षकांवर  अखेर कारवाई! मुख्यालयी न राहणाऱ्या शिक्षकांचा घरभाडे भत्ता कपात; आमदार बंब यांच्या मागणीला यश 

७.  केंद्राकडे महाराष्ट्राची 22 हजार कोटींची जीएसटी थकबाकी; विरोधकांकडून राज्य सरकारवर टिका

८. लोकल रेल्वेने प्रवास करणाऱ्या महिलांसाठी बातमी! पश्चिम रेल्वे लोकलमध्ये महिलांसाठी 25 जागा वाढवल्या 

९. 41 टक्के मुलींना इच्छा नसतांनाही लग्न करावं लागलं, नाशिक येथील शोधिनींच्या संशोधनातून धक्कादायक निष्कर्ष  

१०. मराठवाड्यात परतीच्या पावसाचं थैमान, 'या' जिल्ह्यांना फटका, शेती पिकांचं मोठं नुकसान  सांगली जिल्ह्यात परतीच्या पावसाचा धुमाकूळ, खरीपाच्या पिकांसह द्राक्ष बागांना मोठा फटका  परतीच्या पावसामुळे भात कापणीला अडथळा; भात पडून, कोंबही आले  कोल्हापूर जिल्ह्यात परतीच्या पावसाचा कहर; पेठवडगावमध्ये वीज कोसळल्याने फटाका गोडावून 

*स्पेशल*
 
१.Shekhar Gaikwad Exclusive : कसा असणार यंदाचा ऊस गळीत हंगाम? किती होणार साखरेचं उत्पादन? साखर आयुक्तांची सविस्तर माहिती..


२.Google Travel : गुगल ट्रॅव्हलसह करा तुमच्या सहलीचे नियोजन! प्रवासाशी संबंधित प्रत्येक माहिती येथे मिळेल  

३.China Coronavirus: कोरोना महासाथीनंतर 1300 भारतीय विद्यार्थ्यांना चीनकडून व्हिसा मंजूर 

४.Flying Car Viral Video : दुबईच्या आकाशात उडाली चिनी 'फ्लाइंग कार', लवकरच पूर्ण होणार 'एअर कार' चे स्वप्न! 

५.5G Network : फोनमध्ये 5G सॉफ्टवेअर अपग्रेड करण्यासाठी भारताकडून Apple आणि Samsung वर दबाव 

६.Elon Musk : जगातील सर्वात श्रीमंत व्यक्ती बनला परफ्यूम विक्रेता, एलॉन मस्क बनले सेल्समन, कारण काय?
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          *🥇सामान्य ज्ञान 🥇*
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*👉जगातील सर्वात मोठे वाळवंट कोणते आहे?*
*🥇सहारा*

*👉इजिप्तमधील प्रसिध्द नदी कोणती ?*
*🥇नाईल*

*👉जागतिक महिला दिवस केव्हा साजरा करतात ?*
*🥇८ मार्च*

*👉भारतात सर्वांत जास्त लोकसंख्या असणारे शहर कोणते ?*
*🥇मुंबई*

*👉भारतातील क्षेत्रफळाच्या दृष्टिने मोठे राज्य कोणते आहे ?*  
*🥇राजस्थान*
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           *🕸 बोधकथा 🕸*
     
*👣कर्म आणि धर्म🙏*

*भगवान गौतम बुद्ध यांना एका गावी प्रवचनासाठी निमंत्रण दिले होते. ज्या शेतकऱ्याने निमंत्रण दिले होते तो अत्यंत भाविक होता. आपणाबरोबर आपल्या गावातील लोकांना याचा लाभ व्हावा हि त्याची इच्छा होती. गावाबाहेरच्या एका विस्तीर्ण अशा मोकळ्या पटांगणात एक वृक्ष होता. त्याला पार होता. तेथे प्रवचन घेण्याचे ठरले. ज्या दिवशी प्रवचन सुरु होणार त्यादिवशीच त्या शेतकऱ्याला चिंतेने ग्रासले, त्याचा सर्वात लाडका बैल हरवला. शेतात बांधून ठेवला असता दावं तोडून बैल निघून गेला. शेतकरी बैलाला शोधायला बाहेर पडला. कोस-दोन कोस चालला. गावापलीकडच्या डोंगराशी कुरण होते. तिथे त्याने बैलाला शोधलं मात्र डोक्यात विचार प्रवचनाचे चालू होते. खूप वेळ निघून गेला होता. शेतकऱ्याला प्रवचनाला जाता आले नाही. तोपर्यंत प्रवचन संपले होते. गावकरी घरी निघून गेले होते. बैल मिळाल्याचा आनंद आणि प्रवचन हुकल्याच दुख असे दोन्ही भाव त्याच्या मनात होते.*

           *दुसऱ्या दिवशी मात्र शेतकरी वेळेत प्रवचनाला हजर राहिला. प्रवचन संपल्यावर विनम्रपणे गौतम बुद्धांच्या पाया पडून तो म्हणाला," महाराज, मी काल प्रवचनाला येवू शकलो नाही. क्षमा करा. माझा बैल हरवला होता. पण बैलाला शोधतानासुद्धा माझे प्रवचन हुकले व चांगले विचार ऐकण्यापासून वंचित राहिलो याचे दुख मनाला डाचत होते." यावर बुद्ध मंदस्मित करीत म्हणाले," चांगल्या गोष्टी ऐकण्यापासून वंचित राहिल्याचे दु:ख तुला झाले यातच तुझे भले आहे. आणि बैलाला शोधणे हे तुझे कर्तव्य आहे. तू बैलाला शोधात असताना सुद्धा प्रवचनाचा विचार करत होता म्हणजेच तू कर्म करत असताना धर्माचा विचार करत होता, कर्म करणे हेच धर्माचे मुख्य सार आहे."*

*🧠तात्पर्य- कर्माचे पालन म्हणजे धर्माचे पालन होय.*
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*🇮🇳 आझादी का अमृत महोत्सव 🇮🇳*
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       🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
                 ▬ ❚❂❚❂❚ ▬                  संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,          
             चंद्रपूर 9403183828                                                      
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           *भगिनी निवेदिता*
(स्कॉट्स-आयरिश सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, शिक्षक और स्वामी विवेकानंद की शिष्या)
पूरा नाम : मार्ग्रेट एलिज़ाबेथ नोबल
    *जन्म : 28 अक्टूबर, 1867*
          (डेंगानेन, आयरलैण्ड)
    *मृत्यु : 13 अक्टूबर 1911*
          (दार्जिलिंग, भारत)
अभिभावक : रेंवरेंड सैमुअल रिचमंड नोबल और 'मेरी'
गुरु : स्वामी विवेकानन्द
कर्म भूमि : भारत
कर्म-क्षेत्र : शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता
विशेष योगदान : निवेदिता ने प्रत्यक्ष रूप से कभी किसी आन्दोलन में भाग नहीं लिया, लेकिन उन्होंने भारतीय युवाओं को प्रेरित किया, जो उन्हें रूमानी राष्ट्रीयता और प्रबल भारतीयता का दर्शनशास्त्री मानते थे।
अन्य जानकारी : भारत की स्वतंत्रता की कट्टर समर्थक थीं और अरविंदो घोष सरीखे राष्ट्रवादियों से उनका घनिष्ठ सम्पर्क था।
                         भगिनी निवेदिता (१८६७-१९११) का मूल नाम 'मार्गरेट एलिजाबेथ नोबुल' था। वे एक अंग्रेज-आइरिश सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, शिक्षक एवं स्वामी विवेकानन्द की शिष्या थीं।
               भारत में आज भी जिन विदेशियों पर गर्व किया जाता है उनमें भगिनी निवेदिता का नाम पहली पंक्ति में आता है, जिन्होंने न केवल भारत की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले देशभक्तों की खुलेआम मदद की बल्कि महिला शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। भगिनी निवेदिता का भारत से परिचय स्वामी विवेकानन्द के जरिए हुआ। स्वामी विवेकानन्द के आकर्षक व्यक्तित्व, निरहंकारी स्वभाव और भाषण शैली से वह इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने न केवल रामकृष्ण परमहंस के इस महान शिष्य को अपना आध्यात्मिक गुरु बना लिया बल्कि भारत को अपनी कर्मभूमि भी बनाया।

💁🏻‍♂️ *जीवनकाल*
                       1884 मे उन्होंने शिक्षिका के रूप में नोकरी की, और अध्यापन का कार्य करने लगी।1892 मे विम्बल्डन मे ‘रस्किन स्कुल’ इस नाम के स्कुल की स्थापना की। वहा नये प्रकार की शिक्षा मिलती थी।1895 मे स्वामी विवेकानंद इंग्लंड गये तब उनके चिंतन से और नये जमाने को बहोत उपयुक्त ऐसे विचारो से भरे व्याख्यान से मार्गारेट नोबल प्रभावित हुयी।28 जनवरी 1898 को मार्गारेट नोबल भारत आयी। आगे 25 मार्च 1898 को स्वामी विवेकानंद ने उनको विधी के साथ ‘ब्रम्हचारिणी’ व्रत की दिक्षा देकर उनका नाम ‘निवेदिता’ ऐसा रखा। और वो आगे चल के मार्गारेट नोबल इन्होंने सच कर दिखाया। इसी साल कोलकता मे ‘निवेदिता बालिका विद्यालय’ की स्थापना उन्होंने की।1899 मे कोलकता मे आये हुये प्लेग के रोग के महामारी मे उन्होंने खुदकी जान जोखीम में डालकर मरिजोकी सेवा की।रामकृष्ण मिशन को मदत मिलाके देने के लीये उन्होंने इंग्लंड, फ्रान्स, अमेरिका आदी देशो मे यात्रा की।1902 मे पूणा मे जाके देश के लीये शहादत स्वीकार किये हुये चाफेकर बंधू के माता के चरण स्पर्श करके उनके कदमो की धुल उन्होंने अपने सिर पर लगाई।1905 को बनारस यहा हुये  राष्ट्रीय कॉग्रेस के अधिवेशन में उन्होंने हिस्सा लिया।

💁🏻‍♂️ *परिचय एवं जीवनी*
             मार्गरेट एलिजाबेथ नोबेल का जन्म 28 अक्टूबर 1867 को आयरलैंड में हुआ था। प्रारंभिक जीवन में उन्होंने कला और संगीत का अच्छा ज्ञान हासिल किया। नोबेल ने पेशे के रूप में शिक्षा क्षेत्र को अपनाया। नोबेल के जीवन में निर्णायक मोड़ 1895 में उस समय आया जब लंदन में उनकी स्वामी विवेकानंद से मुलाकात हुई। स्वामी विवेकानंद के उदात्त दृष्टिकोण, वीरोचित व्यवहार और स्नेहाकर्षण ने निवेदिता के मन में यह बात पूरी तरह बिठा दी कि भारत ही उनकी वास्तविक कर्मभूमि है। इसके तीन साल बाद वह भारत आ गईं और भगिनी निवेदिता के नाम से पहचानी गईं।
                     स्वामी विवेकानंद ने नोबेल को 25 मार्च 1898 को दीक्षा देकर मानव मात्र के प्रति भगवान बुद्ध के करुणा के पथ पर चलने की प्रेरणा दी। दीक्षा देते हुए स्वामी विवेकानंद ने अपने प्रेरणाप्रद शब्दों में उनसे कहा- जाओ और उस महान व्यक्ति का अनुसरण करो जिसने 500 बार जन्म लेकर अपना जीवन लोककल्याण के लिए समर्पित किया और फिर बुद्धत्व प्राप्त किया। दीक्षा के समय स्वामी विवेकानंद ने उन्हें नया नाम निवेदिता दिया और बाद में वह पूरे देश में इसी नाम से विख्यात हुईं। भगिनी निवेदिता कुछ समय अपने गुरु स्वामी विवेकानंद के साथ भारत भ्रमण करने के बाद अंतत: कलकत्ता में बस गईं। अपने गुरु की प्रेरणा से उन्होंने कलकत्ता में लड़कियों के लिए स्कूल खोला। निवेदिता स्कूल का उद्घाटन रामकृष्ण परमहंस की जीवनसंगिनी मां शारदा ने किया था। मां शारदा ने सदैव भगिनी निवेदिता को अपनी पुत्री की तरह स्नेह दिया और बालिका शिक्षा के उनके प्रयासों को हमेशा प्रोत्साहित किया। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में बांग्ला विभाग के पूर्व अध्यक्ष अमरनाथ गांगुली ने कहा कि मार्गरेट नोबेल को स्वामी विवेकानंद ने निवेदिता नाम दिया था। इसके दो अर्थ हो सकते हैं एक तो ऐसी महिला जिसने अपने गुरु के चरणों में अपना जीवन अर्पित कर दिया, जबकि दूसरा अर्थ निवेदिता पर ज्यादा सही बैठता है कि एक ऐसी महिला जिन्होंने स्त्री शिक्षा के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया।
            गांगुली ने कहा कि सिस्टर निवेदिता में एक आग थी और स्वामी विवेकानंद ने उस आग को पहचाना। निवेदिता अपने गुरु की प्रेरणा से स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में उस समय उतरीं जब समाज के संभ्रांत लोग भी अपनी लड़कियों को स्कूल भेजना पसंद नहीं करते थे। ऐसे समाज में स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देना निवेदिता जैसी जीवट महिला के प्रयासों से ही संभव हो सका। कलकत्ता प्रवास के दौरान भगिनी निवेदिता के संपर्क में उस दौर के सभी प्रमुख लोग आये। उनके साथ संपर्क रखने वाले प्रमुख लोगों में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु, शिल्पकार हैमेल तथा अवनीन्द्रनाथ ठाकुर और चित्रकार नंदलाल बोस शामिल हैं। उन्होंने रमेशचन्द्र दत्त और यदुनाथ सरकार को भारतीय नजरिए से इतिहास लिखने की प्रेरणा दी। गांगुली ने सिस्टर निवेदिता के देशप्रेम की चर्चा करते हुए कहा कि आयरिश होने के कारण स्वतंत्रता प्रेम उनके रक्त में था। ऐसे में यह बेहद स्वाभाविक था कि उन्होंने भारत में स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों का समर्थन. E और उन्हें सहयोग दिया। भारत प्रेमी भगिनी निवेदिता दुर्गापूजा की छुट्टियों में भ्रमण के लिए दार्जीलिंग गई थीं। लेकिन वहां उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया!                                            🪔 *मृत्यु*
                      13 अक्तुबर 1911 को दार्जिलिंग (पं. बंगाल) यहा 44 साल की उम्र में  उनका स्वर्गवास हुवा                                                                                                                                                                                                                                                       ➖➖➖➖➖➖➖➖➖

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