*06 ऑक्टोबर दिनविशेष 2022 !*
🧩 *गुरवार* 🧩
🌍 *घडामोडी* 🌍
👉 *2007 जेसन लुइस याने वल्हयाच्या होडीतुन पृथ्वी प्रदक्षिणा पूर्ण केली*
👉 *1949 - पंडित जवाहरलाल नेहरू याच्या हस्ते खडकवासला येथे राष्ट्रीय संरक्षण प्रबोधिनीच्या (NDA) इमारती ची कोनशीला बसवण्यात आली*
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*विदर्भ प्राथमिक शिक्षक संघ नागपूर*
(प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ नागपूर विभाग नागपूर)
9860214288, 9423640394
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🌍 *जन्म*
👉 *1946 - विनोद खन्ना अभिनेते, चित्रपट, निर्माते व खासदार यांचा जन्म*
👉 *1913 - कवी केशवसुत पारितोषिक विजेते कवी वामन रामराव तथा वा.रा.कांता यांचा जन्म*
🌍 *मृत्यू*🌍
👉 *2007 - लोकसभा सहस्य, कायदेपंडीत, विव्दान, मुत्सद्दी व भारताचे इंग्लडमधील राजदूत एल एम.सिघंवी यांचे निधन*
👉 *2007 - महाराष्ट्राचे 9 वे मुख्यमंत्री बाबासाहेब भोसले यांचे निधन*
🙏 *मिलिंद विठ्ठलराव वानखेडे*🙏
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*🥇सामान्य ज्ञान 🥇*
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*👉जायकवाडी धरणाच्या जलाशयाला काय म्हणतात ?*
*🥇नाथसागर*
*👉गुलामगिरी या ग्रंथाचे लेखक कोण आहेत ?*
*🥇महात्मा फुले*
*👉मराठी राजभाषा दिन कोणत्या दिवशी साजरा केला जातो ?*
*🥇२७ फेब्रवारी*
*👉प्रकाश आमटे यांचा लोकबिरादरी प्रकल्प कोठे आहे ?*
*🥇हेमलकसा*
*👉आयुर्वेदाची माहिती कोणत्या वेदात आहे ?*
*🥇अथर्ववेद*
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*🕸 बोधकथा 🕸*
*🗣️कवी🖋️*
*उज्जैन येथे एकदा खूप पाउस पडत होता. सारे शहर झोपले होते. मात्र राजवाड्याचा द्वारपाल मातृगुप्त जागाच होता. तो पहारा देत आपल्या दुर्भाग्याचा विचार करत होता. कारण तो एक असाधारण काव्यप्रतीभेचा धनी होता. राजा विक्रमादित्य गुणीजनांचा सन्मान करतो हे ऐकून तो येथे आला होता. परंतु राजाची त्याची भेट झाली नसल्याने त्याला द्वारपालाचे काम करावे लागत होते. त्याच रात्री भर पावसात राजा विक्रमादित्य गुप्त वेशात राज्यात पाहणी करावयास निघाले होते. द्वारावर येताच त्यांच्या कानी कुणीतरी काहीतरी गुणगुणल्यासारखे वाटले म्हणून त्यांनी थांबून ऐकले तर मातृगुप्त एक कविता म्हणत होता. त्यांनी त्याला विचारले अरे तू आता पहाऱ्यावर आहे ना? मग हि कविता कोणाची म्हणतोस? त्याने उत्तर दिले, हि कविता माझी आहे आणि या कवितेत मी राज्याची परिस्थिती वर्णन केली आहे. राजे तिथून काहीच न बोलता निघून गेले. दुसऱ्या दिवशी त्यांनी मातृगुप्ताला दरबारात बोलावले व त्याच्या हाती एक पत्र देत त्याला काश्मीरला जायला सांगितले. मातृगुप्ताने फारशी चौकशी न करता ते पत्र घेवून काश्मीरला प्रयाण केले. काश्मीरला पोहोचताच तेथील पंतप्रधानांनी ते पत्र वाचून पाहिले व मातृगुप्ताला काश्मीरचा राजा म्हणून घोषित केले. या गोष्टीचे त्याला खूप आश्चर्य वाटले. त्यावर पंतप्रधान म्हणाले, राजांनी तुझ्या कर्तव्य बुद्धी बरोबरच तुझी राष्ट्रनिष्ठा व काव्यप्रतिभा पाहिली म्हणून त्यांनी तुला येथील राजा केले आहे.*
*🧠तात्पर्य- प्रतिभा आणि योग्य वेळ, योग्य माणूस यांचा संगम झाला तर प्रतिभेचे चीज होण्यास वेळ लागत नाही.*
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*🌐 आजच्या बातम्या 🌐*
*📢शिवसेनेच्या दसरा मेळाव्यासाठी मुंबईत जनसागर लोटला, शिंदे व ठाकरे गटाकडून जोरदार शक्तीप्रदर्शन*
*📢दीक्षाभूमीवर पसरली निळाई.. धम्मचक्र प्रवर्तन दिनानिमित्त तीन वर्षानंतर उसळला भीमसागर*
*📢ICC Rankings :सूर्या नंबर वन! मोहम्मद रिझवानला धक्का देत गौतम गंभीर, विराट कोहलीच्या पंक्तीत स्थान*
*📢शारदीय नवरात्रोत्सवात अंबाबाई मंदिरात भक्तीचा महापूर, 23 लाखांवर भाविकांनी घेतले दर्शन*
*📢मुकेश अंबानी आणि नीता अंबानी यांना जीवे मारण्याची धमकी, पोलिसांचा तपास सुरू*
*📢अरुणाचल प्रदेशमध्ये भारतीय लष्कराचे हेलिकॉप्टर कोसळले; पायलटचा मृत्यू*
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*मिलिंद व्हि वानखेडे*
*मुख्याध्यापक*
*प्रकाश हायस्कूल व ज्युनिअर कॉलेज कान्द्री-माईन*
*9860214288*
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*🇮🇳 आझादी का अमृत महोत्सव 🇮🇳*
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🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
▬ ❚❂❚❂❚ ▬ संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,
चंद्रपूर 9403183828
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*गोकुलभाई दौलतराम भट्ट*
*जन्म : 19 फ़रवरी, 1898*
(सिरोही, राजस्थान)
*मृत्यु : 6 अक्टूबर, 1986*
कर्म भूमि : भारत
पुरस्कार : उपाधि 'पद्मभूषण' (1971)
प्रसिद्धि : स्वतंत्रता सेनानी तथा समाज सेवक
नागरिकता : भारतीय
विशेष : गोकुल भाई भट्ट को 'राजस्थान का गाँधी' कहा जाता है। उन्होंने जल संरक्षण पर काफ़ी बल दिया था और लोगों को इसके प्रति जागरुक भी किया।
अन्य जानकारी : 1947 में जब सिरोही रियासत की प्रथम लोकप्रिय सरकार बनी तो उसके प्रधानमंत्री गोकुलभाई भट्ट ही बने।
गोकुलभाई भट्ट भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। इन्हें एक सच्चे समाज सेवक के रूप में भी जाना जाता था। इसके साथ ही वे एक कुशल वक्ता, कवि, पत्रकार, बहुभाषाविद और लेखक भी थे। इनका पूरा नाम गोकुलभाई दौलतराम भट्ट था। वर्ष 1939 में गोकुलभाई की प्रेरणा से ही लोग झण्डे वाली टोपियाँ पहनने लगे थे। गोकुलभाई भट्ट 1948 में जयपुर कांग्रेस की स्वागत समिति के अध्यक्ष रहे थे।
💁🏻♂️ *जन्म तथा शिक्षा*
राजस्थान की देशी रियासतों में राष्ट्रीय चेतना फैलाने वाले गोकुलभाई भट्ट का जन्म 19 फ़रवरी, 1898 ई. में राजस्थान के सिरोही ज़िले में हुआ था। बाद के समय में उनका परिवार मुम्बई चला आया और इस प्रकार गोकुलभाई भट्ट ने मुम्बई से ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करना प्रारम्भ किया।
☯️ *समाज सेवा*
गोकुलभाई भट्ट अभी शिक्षा प्राप्त कर ही रहे थे, तभी महात्मा गाँधी द्वारा 'असहयोग आन्दोलन' आरंभ किया गया। ऐसे समय में गोकुलभाई भट्ट ने स्कूल छोड़ दिया और समाज सेवा के कार्य में जुट गये। उनका लगभग 50 वर्ष की सेवा का जीवन बहुत घटनापूर्ण रहा था। आरंभ में गोकुलभाई भट्ट मुम्बई में ही समाज सेवा का कार्य करते रहे। बाद में अपने मूल स्थान सिरोही आकर लोगों को देशी रियासत के अन्दर लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने के संघर्ष में जुट गये। ⚛️ *सिरोही प्रज्ञा मण्डल' की स्थापना*
कांग्रेस ने अपने 1938 के 'हरिपुरा अधिवेशन' में देशी रियासतों के अन्दर के लोगों को संगठित करने का निश्चय किया था। इसके बाद ही गोकुलभाई ने अपनी अध्यक्षता में 'सिरोही प्रज्ञा मण्डल' की स्थापना की। उन्होंने लोगों को राजा द्वारा किए जा रहे शोषण के विरुद्ध संगठित किया। इस पर उन्हें 1939 में गिरफ़्तार भी कर लिया गया था। जब राजा ने झण्डे पर प्रतिबन्ध लगाया तो गोकुलभाई की प्रेरणा से लोग झण्डे वाली टोपियां पहनने लगे। अब उनका कार्य क्षेत्र पूरा राजस्थान बन गया था। वे 'राजस्थान लोक परिषद' के अध्यक्ष चुने गये थे।
⚜️ *प्रधानमंत्री का पद*
1947 में जब सिरोही रियासत की प्रथम लोकप्रिय सरकार बनी तो उसके प्रधानमंत्री गोकुलभाई भट्ट ही बने। 'राजस्थान प्रदेश कांग्रेस' का अध्यक्ष और 'कांग्रेस कार्य समिति' का सदस्य बनने का भी सम्मान उन्हें मिला। 1948 की जयपुर कांग्रेस की स्वागत समिति के अध्यक्ष भी वही थे। सरदार पटेल जिस समय राजस्थान की रियासतों के एकीकरण की वार्ता चला रहे थे, उसमें गोकुलभाई भट्ट जनता के प्रतिनिधि के रूप में बराबर भाग लेते रहे।
🔮 *अन्य विशेषतायें*
राजनैतिक कार्यकर्ता के अतिरिक्त गोकुलभाई भट्ट में और भी कई विशेषतायें थीं-
वे कुशल वक्ता, कवि, पत्रकार, बहुभाषाविद और लेखक थे।
उन्हें मराठी, गुजराती, हिन्दी, बंगाली, सिन्धी और अंग्रेज़ी भाषा का कुशल ज्ञान था।
गोकुलभाई भट्ट ने गुजराती, मराठी में अन्य भाषाओं के ग्रंथों का अनुवाद भी किया था।
वे सामाजिक दृष्टि से ऊंच-नीच में विश्वास नहीं करते थे और महिलाओं की समानता के पक्षधर थे।
📜 *'पद्मभूषण' सम्मान*
गोकुलभाई भट्ट ने अपने विविध गुणों से सम्पूर्ण राजस्थान के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। वर्ष 1971 में उन्हें 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया गया था। 🪔 *निधन*
गोकुलभाई भट्ट का निधन 6 अक्टूबर, 1986 को हुआ। उन्हें 'राजस्थान का गाँधी' कहा जाता था। उन्होंने जल संरक्षण पर काफ़ी बल दिया और लोगों को इसके प्रति जागरुक भी किया।
🇮🇳 *जयहिंद* 🇮🇳 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖
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