8 ऑक्टोबर दिनविशेष


*08 ऑक्टोबर दिनविशेष 2022 !*
🧩 *शुक्रवार* 🧩


💥 *भारतीय वायुदल दिन*
     
         🌍 *घडामोडी* 🌍    
 
👉 *2005 - काश्मीर मध्ये झालेल्या 7.6 रिक्टर भूकंपामुळे सुमारे 86000-87500 लोक मृत्युमुखी पडले 69000-72500 जण जखमी झाले आणि 2.8 दशलक्ष लोक बेघर झाले*         
👉 *2001 - सप्टेंबर 11 च्या अतिरेकी हल्ला च्या पार्श्र्वभुमीका अमेरिकेचे राष्ट्रध्यक्ष जाॅर्ज बुश यांनी अंतर्गत सुरक्षा मंञालयाची स्थापना केली*

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*विदर्भ प्राथमिक शिक्षक संघ नागपूर* 
(प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ नागपूर विभाग नागपूर) 
9860214288, 9423640394
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🌍 *जन्म*

👉 *1960 - नेटा फ्लिक्स चे सहसंस्थापक रिड हेस्टिगं   यांचा जन्म*
👉 *1935 - द फ्लाइग मिल्खा सिंग   यांचा जन्म*

        🌍 *मृत्यू*🌍

👉 *2012 - पञकार व पार्श्र्वगायक वर्षा भोसले यांचे निधन*
👉 *1998 - देवरूख येथील मातृमंदिर संस्थेच्या संस्थापक कोकणच्या मदर तेरेसा इंदिराबाई हळवे ऊर्फ मावशी  यांचे  निधन*
 
🙏 *मिलिंद विठ्ठलराव वानखेडे*🙏
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*आजच्या बातम्या*

📣 उद्धवजी 2 पावले मागे गेले असते, तर 2 मेळावे झाले नसते - आजचे दृश्य मनाला वेदना देणारे - असे रामदास कदम म्हणाले 

📣 आता रुपे क्रेडिट कार्डचे UPI शुल्क माफ असणार - 2 हजार रुपयांपर्यंतच्या व्यवहारांवर कोणतेही शुल्क आकारले जाणार नाही - सविस्तर माहिती पुढे येणाऱ्या मॅसेज मध्ये  

📣 तर उद्धव ठाकरे यांनी गद्दार, बांडगूळ, खोकासूर ,कटप्पा - असे अनेक शब्द वापरुन एकनाथ शिंदे गटावर जोरदार हल्ला चढवला

📣 राज्यात जमीन मोजणी पुन्हा लांबणीवर , रोव्हर मशीन खरेदीसाठी आलेल्या निविदांमध्ये मशीनची किंमत अधिक, राज्य सरकार पुन्हा नव्याने निविदा मागवणार

📣 आज काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भारत जोडो यात्रेत सहभागी होणार, सध्या यात्रा कर्नाटकातील म्हैसुर या ठिकाणी पोहचली

📣 बाळासाहेब रिमोटने सरकार चालवायचे, तुम्ही तर शिवसेना पक्षाचा रिमोट काँग्रेस आणि राष्ट्रवादीकडे दिला - असे काल एकनाथ शिंदे म्हणाले

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          *🥇सामान्य ज्ञान 🥇*
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*👉मराठी या व्याकरण प्रकारातील संधीचे किती प्रकार पडतात व कोनते?*
*🥇तीन प्रकार 1) स्वर संधी 2) व्यंजन संधी 3) विसर्ग संधी*

*👉भीमाशंकर हे महाराष्ट्रातील ज्योतिर्लिंग कोणत्या जिल्ह्यात आहे?*
*🥇पुणे जिल्हा*

*👉जागतिक एड्स प्रतिबंध दिन हा केंव्हा असतो?*
*🥇1 डिसेंबर*

*👉महाराष्ट्र राज्याची स्थापना किती साली झाली आहे?*
*🥇1 में 1960*

*👉माइक्रोमीटरने काय मोजले जाते?*
*🥇लहान (कमी) अंतर*
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           *🕸 बोधकथा 🕸*
     
*▪️वकील व सरदार▪️*

*एका राजाने आपला वकील दुसर्‍या राजाच्या दरबारी पाठविला. तो तेथे जाऊन पोहोचल्यावर तेथील राजाने नोकर-चाकर पाठवून वाजंत्री वाजवत मोठय़ा सन्मानाने शहरात नेण्यास सुरुवात केली. तो वकील कंजूष असल्याने वाजंत्री व मिरवणूक यात पैसा विनाकारण खर्च व्हावा हे त्याला पटले नाही. म्हणून तो त्यांना म्हणाला, ''अरे, माझी आई वारली, तिच्या सुतकात मी असल्यामुळे हा सगळा थाटमाट तुम्ही बंद कराल तर बरं होईल.'' ते ऐकताच लोकांनी आपली वाद्य बंद केली. पुढे ही हकीगत तेथील एका सरदाराला समजली. तेव्हा तो त्या वकीलाजवळ येऊन त्याला म्हणाला,'' वकीलसाहेब आपल्या आईच्या मृत्यूची बातमी ऐकून मला फार वाईट वाटलं, आपली आई वारली, त्याला आज किती दिवस झाले बरं?'' वकील उत्तरला, ''त्या गोष्टीला आज चांगली चाळीस वर्षे झाली असतील.''*

*🧠तात्पर्य :-*
*पैसा वाचविण्यासाठी कंजूष माणूस वाटेल ती सबब सांगायला कमी करत नाही.*
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*मिलिंद व्हि वानखेडे*
*मुख्याध्यापक*
*प्रकाश हायस्कूल व ज्युनिअर कॉलेज कान्द्री-माईन* 
*9860214288*
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*🇮🇳 आझादी का अमृत महोत्सव 🇮🇳*
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       🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
                 ▬ ❚❂❚❂❚ ▬                  संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,          
             चंद्रपूर 9403183828                                                      
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             *दुर्गा भाभी*
        ( भारतीय क्रांतिकारी )
पूरा नाम : दुर्गावती देवी
*जन्म : 7 अक्टूबर, 1907*
(शहजादपुर, इलाहाबाद)
*मृत्यु : 15 अक्टूबर, 1999*
( गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश)
पिता : पंडित बांके बिहारी
पति : भगवतीचरण बोहरा
नागरिकता : भारतीय
प्रसिद्धि : भारतीय क्रांतिकारी
धर्म : हिन्दू

अन्य जानकारी : 'असेम्बली बम कांड' के बाद भगतसिंह आदि क्रांतिकारी गिरफ्तार हो गए थे। दुर्गा भाभी ने उन्हें छुड़ाने के लिए वकील को पैसे देने की खातिर अपने सारे गहने बेच दिए। तीन हज़ार रुपए वकील को दिए। फिर महात्मा गाँधी से भी अपील की कि भगतसिंह और बाकी क्रांतिकारियों के लिए कुछ करें।                    दुर्गावती देवी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रान्तिकारियों की प्रमुख सहयोगी थीं। प्रसिद्ध क्रांतिकारी भगतसिंह के साथ इन्हीं दुर्गावती देवी ने 18 दिसम्बर, 1928 को वेश बदलकर कलकत्ता मेल से यात्रा की थी। चन्द्रशेखर आज़ाद के अनुरोध पर 'दि फिलॉसफी ऑफ़ बम' दस्तावेज तैयार करने वाले क्रांतिकारी भगवतीचरण बोहरा की पत्नी दुर्गावती बोहरा क्रांतिकारियों के बीच 'दुर्गा भाभी' के नाम से मशहूर थीं। सन 1927 में लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिये लाहौर में बुलायी गई बैठक की अध्यक्षता दुर्गा भाभी ने की थी। तत्कालीन बम्बई के गर्वनर हेली को मारने की योजना में टेलर नामक एक अंग्रेज़ अफ़सर घायल हो गया था, जिस पर गोली दुर्गा भाभी ने ही चलायी थी।               💁🏻‍♀️ *दुर्गा भाभी का परिचय*
दुर्गावती देवी (दुर्गा भाभी) का जन्म 7 अक्टूबर सन 1907 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के शहजादपुर नामक गाँव में पंडित बांके बिहारी के यहाँ हुआ था। उनके पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में नाजिर थे और उनके बाबा महेश प्रसाद भट्ट जालौन ज़िले में थानेदार के पद पर तैनात थे। उनके दादा पंडित शिवशंकर शहजादपुर में जमींदार थे, जो बचपन से ही दुर्गा भाभी की सभी बातों को पूर्ण करते थे। दस वर्ष की अल्प आयु में ही दुर्गा भाभी का विवाह लाहौर के भगवतीचरण बोहरा के साथ हो गया। दुर्गा भाभी के श्वसुर शिवचरण जी रेलवे में ऊंचे पद पर तैनात थे। अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें 'राय साहब' का खिताब दिया था।

💥 *क्रांतिकारी गतिविधियाँ*

क्रांतिकारी भगवतीचरण बोहरा के साथ विवाह हो जाने के बाद दुर्गा भाभी शीघ्र ही वे अपने पति के कार्यों में सहयोग देने लगी थीं। उनका घर क्रांतिकारियों का आश्रयस्थल था। वे सभी का आदर करतीं, स्नेहपूर्वक उनका सेवा-सत्कार करतीं। इसलिए सभी क्रांतिकारी उन्हें 'भाभी' कहने लगे थे और यही उनका नाम प्रसिद्ध हो गया। अपने क्रांतिकारी जीवन में दुर्गा भाभी ने खतरा मोल लेकर कई बड़े काम किये। उनमें सबसे बड़ा काम था- लाहौर में लाला लाजपत राय पर लाठी बरसाने वाले सांडर्स पर गोली चलाने के बाद भगतसिंह को कोलकाता पहुँचाना।

♦️ *दुर्गा भाभी द्वारा भगतसिंह की सहायता*
19 दिसम्बर, 1928 का दिन था। भगतसिंह और सुखदेव सांडर्स को गोली मारने के दो दिन बाद सीधे दुर्गा भाभी के घर पहुंचे। भगतसिंह जिस नए रूप में थे, उसमें दुर्गा उन्हें पहचान नहीं पाईं। भगतसिंह ने अपने बाल कटा लिए थे, हालांकि दुर्गा इस बात से खुश नहीं थीं कि स्कॉट बच गया; क्योंकि इससे पहले हुई एक मीटिंग में दुर्गा भाभी ने खुद स्कॉट को मारने का ऑपरेशन अपने हाथ में लेने की गुजारिश की थी, लेकिन बाकी क्रांतिकारियों ने उन्हें रोक लिया था। लाला लाजपत राय पर हुए लाठीचार्ज और उसके चलते हुई मौत को लेकर उनके दिल में काफ़ी गुस्सा भरा हुआ था। इधर लाहौर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात थी। दुर्गा ने उन्हें कोलकाता निकलने की सलाह दी। उस वक्त कांग्रेस का अधिवेशन कोलकाता में चल रहा था और भगवतीचरण बोहरा भी उसमें भाग लेने गए थे।

🪔 *पति की मृत्यु*
इधर 63 दिन की भूख हड़ताल के बाद लाहौर जेल में ही जतिन्द्रनाथ दास यानी जतिन दा की मौत हो गई तो उनकी लाहौर से लेकर कोलकाता तक ट्रेन में और कोलकाता में भी अंतिम यात्रा की अगुवाई दुर्गा भाभी ने ही की। इधर उनके पति भगवतीचरण बोहरा ने लॉर्ड इरविन की ट्रेन पर बम फेंकने के बाद भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव समेत सभी क्रांतिकारियों को छुड़ाने की योजना बनाई और इसके लिए वह रावी नदी के तट पर लाहौर में बम का परीक्षण कर रहे थे। 28 मई, 1930 का दिन था कि अचानक बम फट गया और भगवतीचरण बोहरा की मौत हो गई। दुर्गा भाभी को बड़ा झटका लगा, लेकिन वह जल्द ही उबर गईं और देश की आज़ादी को ही अपने जीवन का आखिरी लक्ष्य मान लिया। तब दुर्गा भाभी ने अंग्रेज़ों को सबक सिखाने के लिए पंजाब प्रांत के पूर्व गवर्नर लॉर्ड हैली पर हमला करने की योजना बनाई। दुर्गा भाभी ने उस पर 9 अक्टूबर, 1930 को बम फेंक भी दिया। हैली और उसके कई सहयोगी घायल हो गए, लेकिन वह घायल होकर भी बच गया। उसके बाद दुर्गा भाभी बचकर निकल गईं, लेकिन जब मुंबई से पकड़ी गईं तो उन्हें तीन साल के लिए जेल भेज दिया गया। बताया तो ये भी जाता है कि चंद्रशेखर आज़ाद के पास आखिरी वक्त में जो माउजर था, वह भी दुर्गा भाभी ने ही उनको दिया था।                        ⚜️ *मांटेसरी स्कूल की शुरुआत*
एक-एक करके जब सारे क्रांतिकारी इस दुनिया में नहीं रहे तो दुर्गा भाभी के लिए काफ़ी मुश्किल हो गई। बेटा भी बड़ा हो रहा था और पुलिस भी उन्हें बार-बार परेशान कर रही थी। लाहौर से उन्हें ज़िला बदर कर दिया गया। ऐसे में वह 1935 में गाज़ियाबाद निकल आईं, जहां उन्होंने एक स्कूल में अध्यापिका की नौकरी कर ली। दो साल के लिए कांग्रेस के साथ भी काम किया, लेकिन फिर छोड़ दिया। फिर उन्होंने मद्रास जाकर मांटेसरी सिस्टम की ट्रेनिंग ली और फिर लखनऊ में कैंट रोड पर एक मांटेसरी स्कूल खोला। शुरू में जिसमें सिर्फ पांच बच्चे थे। आज़ादी के बाद उन्होंने सत्ता और नेताओं से काफ़ी दूरी बना ली। 1956 में जब जवाहरलाल नेहरू को उनके बारे में पता चला तो लखनऊ में उनके स्कूल में एक बार मिलने आए। नेहरू जी ने उनकी मदद करने की पेशकश भी की थी। कहा जाता है कि दुर्गा भाभी ने विनम्रता से मना कर दिया था। दुर्गा भाभी को मांटेसरी स्कूलिंग सिस्टम के शुरुआती लोगों में गिना जाता है।

🪔 *मृत्यु*
मीडिया और सत्ताधीशों को दुर्गा भाभी की आखिरी खबर 15 अक्टूबर, 1999 के दिन मिली, जब गाज़ियाबाद के एक कमरे में उनकी मौत हो गई। तब वह 92 साल की थीं। ये शायद उनके पति के विचारों का ही उन पर प्रभाव था कि पहाड़ जैसी जिंदगी अकेले ही और इतने साहस के साथ गुजार दी और ना जाने कितनों को साहस से जीने की प्रेरणा दी। दुर्गा भाभी ने देश के लिए, उसकी आज़ादी के लिए अपने पति, परिवार, बच्चा और एक खुशहाल जीवन सब कुछ दांव पर लगा दिया, लेकिन आज़ादी के बाद जिस तरह से उन्होंने गुमनामी की चादर ओढ़ी और खुद को बच्चों की एजुकेशन तक सीमित कर लिया, वह वाकई हैरतअंगेज था। शायद ये उनके सपनों का भारत नहीं था, जैसा उन्होंने कभी कल्पना की थी।              
           🇮🇳 *जयहिंद* 🇮🇳                                                                                                                                                                                                                                                        ➖➖➖➖➖➖➖➖➖

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