*29 नोव्हेंबर दिनविशेष 2022 !*
🧩 *मंगळवार* 🧩
🌍 *घडामोडी* 🌍
👉 *2000 - दक्षिण आफ्रिकेतील डाॅ नेल्सन मंडेला व बांगलादेश चा ग्रामीण बॅकेस गांधी पुरस्कार जाहीर*
👉 *1996 - नोबेल पारितोषिक विजेत्या समाजसेविका मदर तेरेसा यांना त्यांची मायभूमी अल्बानियाचा सर्वोच्च नागरी पुरस्कार गोल्डन ऑनर जाहीर*
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*विदर्भ प्राथमिक शिक्षक संघ नागपूर*
(प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ नागपूर विभाग नागपूर)
9860214288, 9423640394
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🌍 *जन्म*
👉 *1976 - चाडवीक बाॅसमन- अमेरिकन अभिनेते यांचा जन्म*
👉 *1963 - ललित मोदी - भारतीय उद्योगपती यांचा जन्म*
🌍 *मृत्यू*🌍
👉 *1993 - जे आर डी टाटा- भारताचे पहिले वैमानिक आणि भारतीय विमान वाहतूकीचे जनक भारतरत्न व पद्मभूषण याचे निधन*
👉 *2011 - इंदिरा गोस्वामी- आसामी साहित्यीक व कवियञि यांचे निधन*
🙏 *मिलिंद विठ्ठलराव वानखेडे*🙏
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◆━━━▣✦▣━━━━◆ *बोधकथा* . *जीवनाचे रहस्य*
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एकदा एका कसायाकडे त्याचा एक मित्र त्याला भेटण्यासाठी गेला होता. तिथे त्याने असे पाहिले की, एका मोठ्या पिंज-यात खूप असे बोकड, मेंढ्या कैद आहेत आणि एकमेकांशी मस्ती करत आहेत. मोठ्या आनंदात ते प्राणी आहेत. दुसरीकडे त्याने असे पाहिले की त्याच पिंज-यातून एकेक बोकड काढून तो कसाई कापत आहे आणि त्याचे मांस विकत आहे. कसायाच्या मित्राला ही गोष्ट पाहून कसेतरी वाटले. तो त्रस्त झाला कारण ज्यावेळी प्रत्येक बोकडाला कसाई बाहेर काढून कापत असे हे जाळीतून पिंज-यातल्या प्रत्येक बोकडाला दिसत होते पण तरीसुद्धा ते बोकड आपला कुणीतरी मित्र मरतो आहे याची जाणीव न ठेवता आनंदात कसे राहत होते याचे त्या मित्राला राहून राहून आश्चर्य वाटत होते. ते बोकड आपल्याच मस्तीत खेळत, बागडत, आनंदात त्या पिंज-यात राहतात कसे याचे त्या मित्राला कोडे पडले होते. शेवटी न राहवून त्याने त्या कसाई मित्राला याचे कारण विचारले असता कसाई म्हणाला,’’ अरे मित्रा, फार सोपे कारण आहे. मी त्या प्रत्येक बोकडाच्या कानात असे सांगितले आहे की, सगळे बोकड मेले तरी हरकत नाही पण मी तुला काही कापणार नाही. त्यामुळे तू आनंदात राहा. तू एकमेव बोकड असा असशील की जो शेवटपर्यंत जिवंत राहशील. त्यामुळे ते प्रत्येक बोकड हे आपण जिवंत राहणार या आनंदात आहे आणि हे त्याचमागचे रहस्य आहे.
*तात्पर्य: या पिंजरातील बोकडाच्यासारखी माणसाची अवस्था आहे . प्रत्येकाला असे वाटते की मी शेवटपर्यंत जिवंत राहणार आहे पण कधी ना कधी आपला नंबर येणारच आहे जीवन जगत असताना याची जाणीव व नक्कीच ठेवायला पाहिजे की आपण कधी कधी मरणार आहोत.*
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_© *प्रश्नमंजुषा*_
➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *१)राष्ट्रीय लोकसंख्या आयोगाचे अध्यक्ष कोण आहेत?
उत्तर - नरेंद्र मोदी २)भारतातील व्याग्र प्रकल्प योजनेचे जनक कोण?
उत्तर - कैलास सांकला ३)कितव्या घटना दुरुस्ती अनव्ये पंचायत समितीला घटनात्मक दर्जा दिला?*
उत्तर - 3.73 व्या
▬▬▬▬➖➖➖▬▬▬▬ 🎯 _*ठळक घडामोडी*_
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■ *जुनी पेन्शन योजना : कांही राज्यांमध्ये लागू झाली जुनी पेन्शन योजना, आता केंद्राची पाळी!*
■ *शाळेत सहावी ते बारावीपर्यंतच्या मुलींना मोफत सॅनिटरी पॅड! याचिकेनंतर सुप्रीम कोर्टाची केंद्रासह राज्यांना नोटीस*
■ *PSI, कर निरीक्षक, सहाय्यक कक्ष अधिकारी पदाच्या मुख्य परीक्षा पुढे ढकलल्या.. प्रशासकीय कारणास्तव वेळापत्रकात बदल*
■ *आता गोवरसाठीही क्वारंटाईन! गोवर नियंत्रणासाठी विलगीकरण व्यवस्था करा, टास्क फोर्सचे जिल्हा प्रशासन आणि महापालिकांना निर्देश*
■ *महापुरूषांचा अपमान करणाऱ्यांना देशद्रोहाच्या कायद्यानुसार शिक्षा झाली पाहिजे; खासदार उदयनराजे भोसले यांची मागणी*
■ *राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी यांच्याकडून पदमुक्त होण्याचे संकेत*
■ *सरकारी पेन्शनधारकांसाठी जीवन प्रमाणपत्र सादर करण्याची अंतिम मुदत आली जवळ, हे प्रमाणपत्र सादर करण्याची अंतिम तारीख 30 नोव्हेंबर 2022 पर्यंत*
■ *मराठमोळ्या ऋतुराजचा वर्ल्ड रेकॉर्ड! एकाच षटकात ठोकले सात षटकार, अशी कामगिरी करणारा जगातील पहिलाच खेळाडू*
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*मिलिंद व्हि वानखेडे*
*मुख्याध्यापक*
*प्रकाश हायस्कूल व ज्युनिअर कॉलेज कान्द्री-माईन*
*9860214288*
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*🖥️ महाराष्ट्र तंत्रस्नेही शिक्षक समूह 🖥️*
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🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
▬ ❚❂❚❂❚ ▬ संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,
चंद्रपूर 9403183828
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*अमृतलाल विठ्ठलदास ठक्कर*
( ठक्कर बाप्पा )
*जन्म : 29 नवंबर 1869*
(भावनगर, गुजरात)
*मृत्यु : 20 जनवरी 1951*
उपाधी : ठक्कर बाप्पा
पिता- विट्ठलदास लालजी ठक्कर
माता : मुलीबाई
कर्म भूमि : भारत
कर्म-क्षेत्र : समाज सेवक
नागरिकता : भारतीय
संबंधित लेख : महात्मा गाँधी, गोपाल कृष्ण गोखले
विशेष : ठक्कर बाप्पा ने 1914 में ‘भारत सेवक समाज’ के संस्थापक गोपालकृष्ण गोखले से समाज सेवा की दीक्षा ली और जीवनपर्यंत लोक-सेवा में ही लगे रहे। इसी कारण वे ठक्कर बाप्पा के नाम से प्रसिद्ध हुए।
अन्य जानकारी : गाँधी जी की प्रेरणा से ‘अस्पृश्यता निवारण संघ’, जो बाद में ‘हरिजन सेवक संघ’ कहलाया, बना तो ठक्कर बाप्पा उसके मंत्री बनाए गए। 1933 में जब हरिजन कार्य के लिए गाँधी जी ने पूरे देश का भ्रमण किया तो ठक्कर बाप्पा उनके साथ थे।
ठक्कर बापा, गांधी जी के बहुत करीब रहे थे। वे सन 1914-15 से गांधीजी के सम्पर्क में आए थे। मगर, तब भी वे अपने लोगों के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद, आदिवासियों की अधिसंख्य आबादी आज भी बीहड़ जंगलों में रहने अभिशप्त है। अपने देश और समाज के प्रति ठक्कर बापा की नीयत साफ झलकती है। मगर, आदिवासियों के प्रति कांग्रेस की नीतियां में जरुर संदेह नजर आता हैं।
ठक्कर बापा का नाम लेते ही ऐसे ईमानदार शख्स की तस्वीर जेहन में उभरती है, जो बड़ा ईमानदार है। जिसने एक बड़े सरकारी ओहदे से इस्तीफा देकर दिन-हीन और लाचार लोगों के लिए अपनी तमाम जिंदगी न्योछावर कर दी हो। शायद, इसी को लक्ष्य कर गांधी जी ने एक उन्हें 'बापा ' कहा था। 'बापा ' अर्थात लाचार और असहायों का बाप। चाहे गुजरात का भीषण दुर्भिक्ष हो या नोआखाली के दंगे, ठक्कर बापा ने लोगोंकी जो सेवा की , नि:संदेह वह स्तुतिय है।
ठक्कर बापा एक खाते-पीते परिवार से संबंध रखते थे। ठक्कर बापा का नाम अमृतलाल ठक्कर था। आपका जन्म 29 नवम्बर 1869 भावनगर (सौराष्ट्र ) में हुआ था। आप की माता का नाम मुलीबाई और पिता का नाम विठलदास ठक्कर था। अमृतलाल ठक्कर के पिताजी एक व्यवसायी थे। विट्ठलदास समाज के हितेषी और स्वभाव से दयालु थे।उन्होंने अपने गरीब समाज के बच्चों के लिए भावनगर में एक छात्रावास खोला था। भावनगर में ही सन 1900 के भीषण अकाल में उन्होंने केम्प लगवा कर कई राहत कार्य चलवाए थे।
पढने-लिखने में अमृतलाल बचपन से ही होशियार थे। सन 1886 में आपने मेट्रिक में टॉप किया था। सन 1890 में आपने पूना से सिविल इंजीनियरिंग पास किया था। सन 1890 -1900 की अवधि में अमृतलाल ठक्कर ने काठियावाड़ स्टेट में कई जगह नौकरी की थी। सन 1900-1903 के दौरान पूर्वी अफ्रीका के युगांडा रेलवे में बतौर इंजिनीयर उन्होंने अपनी सेवा दी। वे सांगली स्टेट के चीफ इंजिनियर नियुक्त हुए। इसी समय आप गोपाल कृष्ण गोखले और धोंडो केशव कर्वे के सम्पर्क में आए।
सांगली में एकाध साल नौकरी करने के बाद अमृतलाल ठक्कर बाम्बे म्युनिसिपल्टी में आ गए। यहाँ कुर्ला में नौकरी के दौरान वे वहाँ की दलित बस्तियों में गए। डिप्रेस्ड कास्ट मिशन के रामजी शिंदे के सहयोग से उन बस्तियों में आपने स्वीपर बच्चों के लिए स्कूल खोला ।
सन 1914 में अमृतलाल ठक्कर ने अपने नौकरी से त्याग दे दिया। अब वे 'सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसायटी' से जुड़ कर पूरी तरह जन-सेवा में जुट गए। यही वह समय था जब गोपाल कृष्ण गोखले ने उनकी मुलाकात गांधी जी से करवाई। सन 1915 -16 में ठक्कर बापा ने बाम्बे के स्वीपरों के लिए को-ऑपरेटिव सोसायटी स्थापित की। इसी तरह अहमदाबाद में आपने मजदूर बच्चों के लिए स्कूल खोला।
सन 1918-19 की अवधि में टाटा आयरन एंड स्टील जमशेदपुर ने अपने कामगारों की परिस्थितियों के आंकलन के लिए ठक्कर बापा की सेवाएं ली थी। गुजरात और उड़ीसा में पड़े भीषण अकाल के समय ठक्कर बाबा ने वहाँ रिलीफ केम्प लगा कर काफी काम किया। सन 1922 -23 के अकाल में गुजरात में भीलों के बीच रिलीफ का कार्य करते हुए आपने 'भील सेवा मंडल' स्थापित किया था।
सन 1930 में सिविल अवज्ञा आंदोलन दौरान वे गिरफ्तार हुए थे। उन्हें 40 दिन जेल में रहना पड़ा था। पूना पेक्ट (सन 1932 )में गांधी जी के आमरण अनशन के दौरान ठक्कर बापा ने समझौए के लिए महती भूमिका निभाई थी।
ठक्कर बापा ने बतौर 'हरिजन सेवक संघ' के महासचिव सन 1934 -1937 की अवधि में ' हरिजनों ' की समस्याओं से रुबरूं होने के लिए सारे देश का भमण किया था। सन 1938-42 की अवधि में वे सी पी एंड बरार, उड़ीसा, बिहार, बाम्बे राज्यों में आदिवासी और पिछड़े वर्गों के कल्याण से संबंधित विभिन्न सरकारी समितियों में रहे थे ।
सन 1944 में ठक्कर बापा ने 'कस्तूरबा गांधी नॅशनल मेमोरियल फण्ड' की स्थापना की। इसी वर्ष ' गोंड सेवक संघ' जो अब 'वनवासी सेवा मंडल' के नाम से जाना जाता है; की स्थापना की थी। ठक्कर बापा सन 1945 में 'महादेव देसाई मेमोरियल फण्ड' के महासचिव बने थे। 'आदिमजाति मंडल' रांची जिसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे, के उपाध्यक्ष रहे। सन 1946 -47 में नोआखली जहाँ जबरदस्त दंगे भड़के थे, ठक्कर बापा वहाँ गांधी जी के साथ थे।
स्वतंत्रता के बाद ठक्कर बापा संविधान सभा के लिए चुने गए थे। वे संविधान सभा के और कुछ उप-समितियों में थे। आप गांधी नॅशनल मेमोरियल फण्ड के ट्रस्टी और एक्जुटिव बॉडी के मेंबर थे। ऐसी निर्लिप्त भाव से सेवा करने वाली शख्सियत 20 जनवरी 1951 हम और आप से विदा लेती है।
🇮🇳 *जयहिंद* 🇮🇳
🙏🌹 *विनम्र अभिवादन* 🌹🙏
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