01 डिसेंबर दिनविशेष


*01 डिसेंबर दिनविशेष 2022 !*
🧩 *गुरवार* 🧩


💥 *जागतिक एड्स प्रतिबंधक दिन*
         
         🌍 *घडामोडी* 🌍    
 
👉 *2015 - लोकमान्य टिळक जीवन गौरव पुरस्कार जेष्ठ पञकार डाॅ मुझफ्फर हुसेन यांना प्रदान करण्यात आला*        
👉 *1999 - भारताच्या  पहिल्या पंतप्रधान महिल्या इंदिरा गांधी यांना वूमन ऑफ द मिलेनियम म्हणून मानांकित करण्यात आले*

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*विदर्भ प्राथमिक शिक्षक संघ नागपूर* 
(प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ नागपूर विभाग नागपूर) 
9860214288, 9423640394
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🌍 *जन्म*

👉 *1960 - शिरिन एम राय - भारतीय-इग्रंजी आणि राजकीय शास्ञज्ञ आणि वैज्ञानिक  यांचा जन्म*
👉 *1955 - उदित नारायण  - भारतीय पार्श्र्वगायक, पद्मभूषण, पद्मश्री व राष्ट्रीय चित्रपट पुरस्कार  यांचा जन्म*

        🌍 *मृत्यू*🌍

👉 *1990 - विजयालक्ष्मी पंडित  - राजदुत, मुत्सद्दी राजकारणी  याचे निधन*
👉 *1988 - गंगाधर सरदार  - विचारवंत व साहित्यिक ,पुरोगामी चळवळीचे भाष्यकार  यांचे  निधन*
 
🙏 *मिलिंद विठ्ठलराव वानखेडे*🙏
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 *TODAY'S THOUGHT/IDEA*
Charity begins at home.
[ परोपकाराची सुरुवात घरापासून होते. ]
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*GENERAL KNOWLEDGE*
◆ Name the first man to walk on the Moon?
Ans. : *Neil Armstrong*
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        *STORY TELLING*

*The Woodcutter and The Golden Axe*

A long time ago, in a small village, there lived an honest woodcutter. He went into the surrounding forest every day to cut trees. He returned to the village with the woods and sold them to a merchant to get money. He was content with his modest lifestyle.
His axe slipped out of his hand and fell into the river one day while he was cutting a tree near a river. He couldn’t imagine retrieving it on his own because the river was so deep. He had only one axe, which he had lost in the river. He got really concerned about how he would be able to make a life today and prayed to the Goddess for help.
Mercury emerged as the God of Water. He enquired as to why he was crying. The woodcutter expressed his dissatisfaction. Mercury then split the water and gave him a golden axe. The woodcutter refused to accept it. Mercury returned, this time with a silver axe, but the woodcutter turned it down once more.
After that, he arrived with an iron axe. It was graciously accepted by the woodcutter. The river God blessed him with the golden and silver axe since Mercury was so pleased with the woodcutter’s  honesty.

*Moral of the story : Honesty is the best policy.*
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  *SPECIAL INTRODUCTION*

*Vijaya Lakshmi Pandit*
[Aug. 18, 1900 - Dec. 1, 1990
]
Vijaya Lakshmi Pandit (Swarup Kumari Nehru) was Indian political leader and diplomat, one of the world’s leading women in public life in the 20th century.
She was the daughter of Motilal Nehru, a wealthy and aristocratic nationalist leader, and sister of Jawaharlal Nehru, the first prime minister of independent India. In 1921, after receiving a private education in India and abroad, she married Ranjit Sitaram Pandit (Died : 1944), a fellow Congress worker.
In her family’s tradition she became an active worker in the Indian nationalist movement and was imprisoned three times by the British authorities in India. She entered municipal government in Allahābād (western India) before entering the legislative assembly of the United Provinces (later Uttar Pradesh) and becoming minister for local self-government and public health (1937–39), the first Indian woman to hold a cabinet portfolio.
With the coming of Indian independence, Pandit entered on a distinguished diplomatic career, leading the Indian delegation to the United Nations (1946–48, 1952–53) and serving as India’s ambassador to Moscow (1947–49) and to Washington and Mexico (1949–51). In 1953 Pandit became the first woman to be elected president of the UN General Assembly. From 1954 to 1961 she was Indian high commissioner (ambassador) in London and concurrently ambassador to Dublin. She served as governor of the state of Mahārāshtra from 1962 to 1964, and from 1964 to 1968 she was a member of the Indian Lok Sabha (parliament), representing the constituency formerly represented by Jawaharlal Nehru.
In 1977 Pandit left the Congress Party to join the Congress for Democracy, which had merged with the Janata Party. A year later she was appointed the Indian representative to the UN Human Rights Commission, and in 1979 she published The Scope of Happiness: A Personal Memoir.
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               *PASAYDAN*
                 *SILENCE*
*All students will keep silence for two minutes.*
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Milind Vitthalrao Wankhede 
HEADMASTER 
Prakash Highschool and junior college kandri mine 
9860214288
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*🇮🇳 आझादी का अमृत महोत्सव 🇮🇳*
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       🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
                 ▬ ❚❂❚❂❚ ▬                  संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,          
             चंद्रपूर 9403183828                                                      
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       *मेजर शैतान सिंह भाटी*
(भारतीय सेना अधिकारी एवं परमवीर चक्र से सम्मानित)
      *जन्म : 1 दिसम्बर 1924*
(जोधपुर, राजस्थान, ब्रिटिश भारत)
     *देहांत : नवम्बर 18, 1962* (उम्र 37)
(रेज़ांग ला, जम्मू और कश्मीर, भारत)
निष्ठा : भारत
सेवा/शाखा :  भारतीय सेना
सेवा वर्ष : 1949-1962
उपाधि : मेजर
सेवा संख्यांक : IC-6400
दस्ता : कुमाऊं रेजिमेंट
युद्ध/झड़पें : भारत-चीन युद्ध
सम्मान :  परम वीर चक्र
                मेजर शैतान सिंह भाटी भारतीय सेना के एक अधिकारी थे। इन्हें वर्ष 1963 में मरणोपरांत परमवीर चक्र का सम्मान दिया गया। इनका निधन 1962 के भारत-चीन युद्ध में हुआ था, इन्होंने अपने वतन के लिए काफी संघर्ष किया लेकिन अंत में शहीद हो गये तथा भारत देश का नाम रौशन कर गये। मेजर सिंह स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने पर सिंह जोधपुर राज्य बलों में शामिल हुए। जोधपुर की रियासत का भारत में विलय हो जाने के बाद उन्हें कुमाऊं रेजिमेंट में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने नागा हिल्स ऑपरेशन तथा 1961 में गोवा के भारत में विलय में हिस्सा लिया था।                                                              1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान, कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन को चुशूल सेक्टर में तैनात किया गया था। सिंह की कमान के तहत सी कंपनी रेज़ांग ला में एक पोस्ट पर थी। 18 नवंबर 1962 की सुबह चीनी सेना ने हमला कर दिया। सामने से कई असफल हमलों के बाद चीनी सेना ने पीछे से हमला कर किया। भारतीयों ने आखिरी दौर तक लड़ा परन्तु अंततः चीनी हावी हो गए। युद्ध के दौरान सिंह लगातार पोस्टों के बीच सामंजस्य तथा पुनर्गठन बना कर लगातार जवानों का हौसला बढ़ाते रहे। चूँकि वह एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर बिना किसी सुरक्षा के जा रहे थे अतः वह गंभीर रूप से घायल हो गए और वीर गति को प्राप्त हो गए। उनके इन वीरता भरे देश प्रेम को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1963 में उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया।

💁🏻‍♂️ *प्रारंभिक जीवन*
शैतान सिंह भाटी का जन्म 1 दिसम्बर 1924 को राजस्थान के जोधपुर जिले के बंसार गांव के एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल हेम सिंह थे जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस में भारतीय सेना के साथ सेवा की और ब्रिटिश सरकार द्वारा ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर (ओबीई) से सम्मानित किए गए थे l

सिंह ने जोधपुर के राजपूत हाई स्कूल में अपनी मैट्रिक तक की पढाई की । स्कूल में वह एक फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में अपने कौशल के लिए जाने जाते थे। 1943 में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिंह जसवंत कॉलेज गए और उन्होंने 1947 में स्नातक किया। 1 अगस्त 1949 को वह एक अधिकारी के रूप में जोधपुर राज्य बलों में शामिल हो गए।

👨‍✈️ *सैन्य जीवन*
जोधपुर की रियासत का भारत में विलय हो जाने के बाद उन्हें कुमाऊं रेजिमेंट में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने नागा हिल्स ऑपरेशन तथा 1961 में गोवा के भारत में विलय में हिस्सा लिया था। उन्हें 11 जून 1962 को उन्हें मेजर पद के लिए पदोन्नत किया गया था।

🔥 *भारत-चीन युद्ध*
हिमालय क्षेत्र में विवादित सीमाओं पर लंबे समय से भारत और चीन के बीच असहमति थी। विवादित क्षेत्र में बढ़ते चीनी घुसपैठ का सामना करने के लिए, भारत के प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनसे निपटने के लिए रणनीतियों के बारे में पूछा। हालांकि, भारतीय सेना द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था। इसके बजाय उन्होंने "फॉरवर्ड पॉलिसी" नामक एक नौकरशाह द्वारा प्रस्तावित एक योजना को मंजूरी दी जिसमे चीनी सीमा के क्षेत्र में कई छोटी-छोटी पोस्टों की स्थापना के लिए कहा गया था। चीनी घुसपैठ के खिलाफ सार्वजनिक आलोचना में गंभीर वृद्धि के कारण नेहरू ने सेना की सलाह के खिलाफ "फॉरवर्ड पॉलिसी" को लागू कर दिया। चीन को भौगोलिक लाभ प्राप्त था और यह सेना के लिए चिंता का विषय था। अतिरिक्त चीनी हमले के समय कई छोटी-छोटी पोस्टों को बनाए रखना असंगत था। इस पर नेहरू ने यह मान लिया था कि चीनी हमला नहीं करेंगे। लेकिन चीन ने चीन-भारत युद्ध की शुरुआत कर दी।

💥 *रेज़ांग ला का युद्ध*
युद्ध के दौरान कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन को चूसुल सेक्टर में तैनात किया गया था। समुद्र तल से 5,000 मीटर (16,000 फीट) की ऊंचाई पर, सिंह की कमान में सी कंपनी रेज़ांग ला में एक स्थान पर थी, और इस क्षेत्र को पांच प्लाटून पोस्टों द्वारा बचाव किया जा रहा था। 18 नवंबर 1962 की सुबह चीनी सेना ने हमला कर दिया पर भारतीयों ने आक्रामक तरीके से तैयारी की थी क्योंकि उन्होंने चीनी सेना को सुबह 5 बजे के मंद प्रकाश में आगे बढ़ते हुए देखा था। जैसे ही भारतीयों ने दुश्मन को पहचाना, उन पर लाइट मशीन गन, राइफल्स, मोर्टार और ग्रेनेड से हमला कर दिया और कई चीनी सैनिक मार गिराए।

5:40 बजे चीनी सेना ने पुनः मोर्टार से हमले करने शुरू कर दिए और लगभग 350 चीनी सैनिकों ने आगे बढ़ना शुरू किया। चीनी सेना द्वारा सामने से किए गए हमले असफल होने के बाद लगभग चार सौ चीनी सैनिकों ने पीछे से हमला किया। साथ ही 8वीं प्लाटून पर मशीन गन और मोर्टार से पोस्ट के तार बाड़ के पीछे से हमला किया गया और 7वीं प्लाटून पर 120 चीनी सैनिकों ने पीछे से हमला किया। भारतीयों ने 3 इंच (76 मिमी) मोर्टार के गोले से मुकाबला किया और कई चीनी सैनिकों को मार दिया। जैसे ही आखिरी 20 जीवित लोग बचे, भारतीयों ने अपनी खाइयों से बाहर निकल कर चीनी सैनिकों के साथ हाथ से हाथ से लड़ने लड़ने लग गए। हालांकि प्लाटून जल्द ही चीन के अतिरिक्त सैनिकों के आगमन से घेर ली गई और आखिरकार 7वीं और 8वीं प्लाटून में से कोई जीवित नहीं बचा।

युद्ध के दौरान मेजर सिंह भाटी लगातार पोस्टों के बीच सामंजस्य तथा पुनर्गठन बना कर लगातार जवानों का हौसला बढ़ाते रहे। चूँकि वह एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर बिना किसी सुरक्षा के जा रहे थे अतः वह गंभीर रूप से घायल हो गए और वीर गति को प्राप्त हो गए। इस युद्ध में भारत के 123 में से 109 सैनिक शहीद हुए थे। वीरगति को प्राप्त होने के बाद इनके पार्थिव शरीर को जोधपुर लाया गया था और सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

🎖️ *सम्मान*
मेजर शैतान सिंह भाटी के वीरता भरे देश प्रेम को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1963 में उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया जो 18 नवम्बर 1962 से प्रभावी हुआ।
               
        🇮🇳 *जयहिंद* 🇮🇳

🙏🌹 *विनम्र अभिवादन* 🌹🙏
                                                                                                ➖➖➖➖➖➖➖➖➖

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