2 डिसेंबर दिनविशेष


*02 डिसेंबर दिनविशेष 2022 !*
🧩 *शुक्रवार* 🧩
   
   
         🌍 *घडामोडी* 🌍    
 
👉 *2001 - एमराॅन कंपनीचे दिवाळखोरी जाहीर केली*        
👉 *1999 - काळा पैसा अधिकृत व्यवहारात आणण्यास प्रतिबंध करणारे आणि परकिय चलन व्यवस्थापन करणारे ही दोन विधेयक लोकसभेत मंजूर*

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*विदर्भ प्राथमिक शिक्षक संघ नागपूर* 
(प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ नागपूर विभाग नागपूर) 
9860214288, 9423640394
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🌍 *जन्म*

👉 *1972 - सुजाता सोमसुदर भारतीय क्रिकेटपटू  यांचा जन्म*
👉 *1942 - डाॅ अनिता अवचट मुक्तांगणच्या संस्थापीका  यांचा जन्म*

        🌍 *मृत्यू*🌍

👉 *2014 - देवेन वर्मा - भारतीय अभिनेते, निर्माते आणि दिग्दर्शक   याचे निधन*
👉 *2014 - ए.आर.अंतुले  - महाराष्ट्राचे 8 वे मुख्यमंत्री  यांचे  निधन*
 
🙏 *मिलिंद विठ्ठलराव वानखेडे*🙏
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          *🥇सामान्य ज्ञान 🥇*
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*👉महाराष्ट्रातील सर्वात लांब नदी कोणती आहे?* 
*🥇गोदावरी*

*👉टॉकीजवर प्रकाशित होणारा प्रथम मराठी चित्रपट कोणता?*
*🥇अयोध्येचा राजा*

*👉रत्नागिरी कोणत्या फळासाठी प्रसिद्ध आहे?* 
*🥇आंबा*

*👉मराठी पत्रकारितेचे जनक कुणास म्हटले जाते?*
*🥇बाळशास्त्री जांभेकर*

*👉महाराष्ट्रात एकूण किती प्रशासकीय विभाग आहेत?* 
*🥇सहा*
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           *🕸 बोधकथा 🕸*
     
*🦹‍♂️चोरावर मोर*

*रानात बोरं आणण्यासाठी चाललेल्या एका बारा तेरा वर्षाच्या मुलाला तहान लागली, म्हणून तो वाटेत लागलेल्या विहिरीत पाणी आहे किंवा काय, हे पाहण्यासाठी त्या विहिरापाशी गेला. त्या विहिरीत तो डोकावून पाहू लागला असता, त्याला समोरुन एक उग्र व खुनशी चर्येचा चोर पाठीवर गाठोडं घेऊन, आपल्याच दिशेने येत असलेला दिसला.*

*'हा चोर एकतर आपल्याला मारील, किंवा पळवून नेऊन चोऱ्या करायला लावील,' असं वाटल्यावरुन तो मुलगा त्या विहिरात पाहून मुद्दाम हमसाहमशी रडू लागला.*

*त्या रडणाऱ्या मुलाजवळ येऊन त्या चोरानं विचारलं, 'काय रे? तुला रडायला काय झालं?'*

*तो मुलगा आपल्या रडण्यात खंड पडू न देता त्याला खोटच म्हणाला, 'मी या विहिरीत किती पाणि आहे हे पाहण्य़ासाठी वाकून पाहू लागलो असता, माझ्या गळ्यातली सोन्याची कंठी या विहिरीत पडली. आता कंठीशिवाय जर मी घरी गेलो तर आई-बाबा मला बेदम चोप देतील.'*

*तुझी कंठी तुला काढून देतो, असं त्या मुलाला खोटचं सांगून, आणि चोरीचे पैसे व दागिने यांनी भरलेलं आपलं बोचक त्याला विहिरीबाहेर उभे राहून सांभाळायला सांगून आपण विहिरीत उडी मारावी व कंठी हाती लागताच, आपले बोचके व याची कंठी घेऊन आपण पसार व्हावं, असा बेत त्या चोरानं मनाशी केला.*

*त्याप्रमाणे तो त्या मुलाला म्हणाला, 'बाळा ! तू हे माझं बोचक सांभाळ; मी तुला तुझी कंठी तुला विहिरीतून काढून देतो.'*

*त्या हुशार मुलाला चोराच्या मनातलं कळून आलं, तरीही त्याने मुद्दाम त्या चोराला होकार दिला. त्याबरोबर त्या चोरानं विहिरीत उडी मारुन, विहिरीच्या तळाशी त्या कंठीचा शोध सुरु केला. ही संधी साधून तो मुलगा त्या बोचक्यासह तिथून पसार झाला.*

*गावात जाताच त्या मुलाने ते बोचके पोलीसांकडे नेऊन दिले. पोलीसांनी घोड्यावर स्वार होऊन त्या चोराचा पाठलाग केला व त्याला पकडले. नंतर त्या मुलाच्या प्रामाणिकपना व चातूर्याबद्दल त्याला बक्षीस दिले.*
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         *🌐 आजच्या बातम्या 🌐*

*📢राज्यात सरकारी कारभार 'पेपरलेस' होणार; येत्या 1 एप्रिलपासून 'ई-ऑफिस' प्रणाली*
*📢गुजरातमध्ये पहिल्या टप्प्यासाठी 56.88 टक्के मतदान, 788 उमेदवारांचे भवितव्य मतदान पेटीत बंद*
*📢MPSCकडून निवड झालेल्या 111 जणांच्या नियुक्तीला हायकोर्टाची स्थगिती; नियुक्ती पत्रासाठी मराठा क्रांती मोर्चाचं आंदोलन*
*📢भारतीय महिला क्रिकेटर राजेश्वरी गायकवाडचा विजयपुरा (कर्नाटक) येथील सुपर मार्केटमध्ये ‘राडा’, मित्रांची दुकानात घुसून मारहाण.*
*📢भारतातील बेरोजगारी दर 8 टक्क्यांवर; मागील तीन महिन्यातील सर्वाधिक दर*
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*मिलिंद व्हि वानखेडे*
*मुख्याध्यापक*
*प्रकाश हायस्कूल व ज्युनिअर कॉलेज  कान्द्री-माईन*
*9860214288*
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*🇮🇳 आझादी का अमृत महोत्सव 🇮🇳*
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       🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
                 ▬ ❚❂❚❂❚ ▬                  संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,          
             चंद्रपूर 9403183828                                                      
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             *बाबा राघवदास*
              (स्वतंत्रता सेनानी)

    *जन्म : 2 दिसंबर 1886* 
               (पुना,महाराष्ट्र)

    *मृत्यु : 15 जनवरी 1958*      
         (जबलपुर, मध्यप्रदेश)

पूरा नाम : बाबा राघवदास
अन्य नाम : राघवेन्द्र
अभिभावक पिता: श्री शेशप्पा तथा माता: श्रीमती गीता
प्रसिद्धि : समाज सेवक
आंदोलन : नमक सत्याग्रह, 
                भूदान आंदोलन
जेल यात्रा : स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बाबा राघवदास ने कई बार जेल की सजाएं भोगी।

अन्य जानकारी : बाबा राघवदास ने अपना सारा जीवन जनता की सेवा में समर्पित कर दिया। इन्होंने कई सारे समाजसेवी संस्थानों की स्थापना की और बहुत सारे समाजसेवी कार्यों की अगुआई भी की।

                          बाबा राघवदास उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध जनसेवक तथा संत थे। ये हिन्दी के प्रचारक भी थे और इस काम के लिए इन्होंने बरहज आश्रम में राष्ट्र भाषा विद्यालय खोला। बाबा राघवदास ने स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया और इस दौरान इन्हेंने कई बार जेल की सजाएं भोगी।
बाबा राघवदास  भारत के एक सन्त तथा भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी थे। उन्हें 'पूर्वांचल का गांधी' कहा जाता है।

💁‍♂ *जीवनी*

बाबा राघवदास का जन्म १२ दिसम्बर १८९६ को पुणे (महाराष्ट्र) में एक संभ्रान्त ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री शेशप्पा और माता का नाम श्रीमती गीता था। इनके पिता एक नामी व्यवसायी थे। बाबा राघवदास के बचपन का नाम राघवेन्द्र था। राघवेन्द्र को बचपन में ही अपने परिवार से सदा के लिए अलग होना पड़ा क्योंकि राघवेन्द्र का हरा-भरा परिवार प्लेग जैसी महामारी की गाल में समा गया। १९१३ में १७ वर्ष की अवस्था में राघवेन्द्र एक सिद्ध गुरु की खोज में अपने प्रान्त को अलविदा कर दिए और प्रयाग, काशी आदि तीर्थों में विचरण करते हुए गाजीपुर (उत्तरप्रदेश का एक जनपद) पहुँचे जहाँ उनकी भेंट मौनीबाबा नामक एक संत से हुई। मौनीबाबा ने राघवेन्द को हिन्दी सिखाई। गाजीपुर में कुछ समय बिताने के बाद राघवेन्द बरहज (देवरिया जनपद की एक तहसील) पहुँचे और वहाँ वे एक प्रसिद्ध संत योगीराज अनन्त महाप्रभु से दीक्षा लेकर उनके शिष्य बन गए।

१९२१ में गाँधीजी से मिलने के बाद बाबा राघवदास स्वतंत्र भारत का सपना साकार करने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में कूद गए तथा साथ ही साथ जनसेवा भी करते रहे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस कर्मयोगी को कई बार जेल की हवा भी खानी पड़ी पर माँ भारती का यह सच्चा लाल विचलित न होते हुए पूर्ण निष्ठा के साथ अपना कर्म करता रहा। १९३१ में गाँधीजी के नमक सत्याग्रह को सफल बनाने के लिए राघवबाबा ने क्षेत्र में कई स्थानों पर जनसभाएँ की और जनता को सचेत किया। बाबा देवरियाई जनता के कितने प्रिय थे, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि १९४८ के एम.एल.ए. (विधायक) के चुनाव में उन्होंने प्रख्यात शिक्षाविद्ध, समाजसुधारक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आचार्य नरेन्द्र देव को पराजित किया। बाबा राघवदास ने अपना सारा जीवन जनता की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने कई सारे समाजसेवी संस्थानों की स्थापना की और बहुत सारे समाजसेवी कार्यों की अगुआई भी। १५ जनवरी १९५८ को माँ भारती का यह सपूत, जनता का सच्चा सेवक अपनों से विदा लेकर ब्रह्म में विलीन हो गया।

उनकी स्मृति में पूर्वी उत्तर प्रदेश में अनेक शिक्षा संस्थाओं का नाम उनके नाम पर रखा गया है, जैसे-

बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर
बाबा राघवदास इण्टर कॉलेज, देवरिया
बाबा राघवदास स्नात्कोत्तर महाविद्यालय, बरहज
    
          🇮🇳 *जयहिंद*🇮🇳

🙏🌹 *विनम्र अभिवादन* 🌹🙏
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                              ➖➖➖➖➖➖➖➖➖

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