20 जानेवारी दिनविशेष


*20 जानेवारी दिनविशेष 2023 !*
🛟 *शुक्रवार* 🛟
 
         🌍 *घडामोडी* 🌍    

👉 *1999 - गिरिश कर्नाड यांना ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान करण्यात आला*
👉 *2009 - बराक ओबामा अमेरिकेचा राष्ट्रध्यक्ष पदी*

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*विदर्भ प्राथमिक शिक्षक संघ नागपूर* 
(प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ नागपूर विभाग नागपूर) 
9860214288, 9423640394
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🌍 *जन्म*🌍

👉 *1871 - सर रमेश जमशेदजी टाटा  भारतीय उद्योगपती*
👉 *1898 - कृष्णाजी गणेश फुलब्रीकर तथा मास्टर कृष्णराव गायक, अभिनेते व संगीतकार   यांचा जन्म*
👉 *1960 - आपा शेर्पा- मांऊट एव्हरेस्टवर 19 वेळा यशस्वी चढाई करणारे नेपाळी गिर्यारोहकच  यांचा जन्म*

        🌍 *मृत्यू*🌍

👉 *1980 - कस्तुरभाई लालभाई भारतीय उद्योगपती ,रिझर्व्ह बँक ऑफ इंडिया चे संचालक यांचे  निधन*
👉 *2002 - रामेश्र्वरनाथ काओ रिसर्च ॲड ॲनाॅलिसिस बिंग या भारतीय गुप्तचर संघटनेचे संस्थापक अध्यक्ष  यांचे निधन*
 
🙏 *मिलिंद विठ्ठलराव वानखेडे*🙏
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          *🥇सामान्य ज्ञान 🥇*
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*👉वातावरणातील तापमान कोणत्या वायूमुळे वाढते?* 
*🥇 कार्बन डाय ऑक्साईड*

*👉कोणत्या धातूचा उपयोग टिकाऊ चुंबक तयार करण्यासाठी करण्यात येतो?* 
*🥇पोलाद*

*👉जगातील सर्वात मोठा खंड कोणता आहे?* 
*🥇आशिया*

*👉हाडाच्या वाढीसाठी कोणते जीवनसत्त्व आवश्यक असते?* 
*🥇 'ड' जीवनसत्त्व*

*👉पाण्याचा गोठणबिंदू किती असतो?* 
*🥇0° सेल्सिअस*
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           *🕸 बोधकथा 🕸*
     
*🙌सुरक्षा🙌* 

 *पूर्वी एकदा लांडगे व बोकड यांची फार दिवस लढाई चालली होती. वास्तविक पाहता लांडग्यांनी पहिल्याच दिवशी पराभव करून त्यांचा फन्ना उडविला असता, परंतु बोकडांच्या बाजूस जे कुत्रे होते त्यांच्यापुढे त्यांचे काही चालेना. शेवटी तहाची वाटाघाट होऊन उभयपक्षी असे ठरले की, लांडग्यांनी आपली पोरे बोकडांच्या स्वाधीन करावी व बोकडांनी आपले कुत्रे लांडग्यांच्य ताब्यात द्यावे. मग या अटी अमलात येताच बोकडांकडे गेलेल्या लांडग्यांच्या पोरांनी आपल्या आयांसाठी आरडाओरडा केला. तो ऐकताच लांडगे धावून आले आणि बोकडांसम्हणाले, 'दुष्टांनो, आमच्या पोरांना मारून तुम्ही तह मोडला, तेव्हा लढाईला तयार व्हा.' इतके बोलून ते बोकडांवर तुटून पडले व बोकडांजवळ कुत्रे नसल्यामुळे ते सगळे सहज मारले गेले.*  

*🧠तात्पर्य :- शत्रूशी सख्य करताना ज्या वस्तूवर आपली सुरक्षितता अवलंबून असेल अशा वस्तू त्यांना कधीही देऊ नयेत.*
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         *🌐 आजच्या बातम्या 🌐*

*📢राष्ट्रवादीचे नेते धनंजय मुंडेंना मुंबईतल्या ब्रिच कॅन्डी रुग्णालयातून डिस्चार्ज, डॉक्टरांनी मुंडेंना पुढील काही दिवस आराम करण्याचा दिला सल्ला* 
 *📢पंतप्रधान नरेंद्र मोदी महाराष्ट्राच्या दौऱ्यावर; महाराष्ट्रात 38,800 हजार कोटी रुपयांच्या प्रकल्पांचे उद्घाटन आणि भूमिपूजन करणार*
*📢ब्रिजभूषण शरण सिंग यांच्या राजीनाम्यापर्यंत हटणार नाही - कुस्तीपटूंचा इशारा; दिल्लीच्या जंतरमंतरवर दुसऱ्या दिवशीही भारतीय कुस्तीपटूंचे धरणे प्रदर्शन सुरूच*
*📢बारामतीत कृषी प्रदर्शनाला सुरुवात,  कृषी प्रदर्शन 19 जानेवारी ते 22 जानेवारीपर्यंत शेतकऱ्यांसाठी खुले असणार*
*📢मुंबईतील छत्रपती शिवाजी महाराज टर्मिनस रेल्वे स्थानकाचा पुनर्विकास होणार, तब्बल 1813 कोटी रूपयांचा खर्च होणार असल्याचा अंदाज*
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मिलिंद व्हि वानखेडे 
मुख्याध्यापक 
प्रकाश हायस्कूल व ज्युनिअर कॉलेज  कान्द्री-माईन 
9860214288
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*🇮🇳 आझादी का अमृत महोत्सव 🇮🇳*
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       🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
                 ▬ ❚❂❚❂❚ ▬                  संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,          
             चंद्रपूर 9403183828                                                      
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*अमृतलाल विठ्ठलदास ठक्कर* 
           ( ठक्कर बाप्पा )

 *जन्म : 29 नवंबर 1869*
         (भावनगर, गुजरात)

   *मृत्यु : 20 जनवरी 1951*

उपाधी : ठक्कर बाप्पा
पिता- विट्ठलदास लालजी ठक्कर
माता : मुलीबाई
कर्म भूमि : भारत
कर्म-क्षेत्र : समाज सेवक
नागरिकता : भारतीय
संबंधित लेख : महात्मा गाँधी, गोपाल कृष्ण गोखले
विशेष : ठक्कर बाप्पा ने 1914 में ‘भारत सेवक समाज’ के संस्थापक गोपालकृष्ण गोखले से समाज सेवा की दीक्षा ली और जीवनपर्यंत लोक-सेवा में ही लगे रहे। इसी कारण वे ठक्कर बाप्पा के नाम से प्रसिद्ध हुए।
अन्य जानकारी : गाँधी जी की प्रेरणा से ‘अस्पृश्यता निवारण संघ’, जो बाद में ‘हरिजन सेवक संघ’ कहलाया, बना तो ठक्कर बाप्पा उसके मंत्री बनाए गए। 1933 में जब हरिजन कार्य के लिए गाँधी जी ने पूरे देश का भ्रमण किया तो ठक्कर बाप्पा उनके साथ थे।
                  ठक्कर बापा, गांधी जी के बहुत करीब रहे थे। वे सन 1914-15  से गांधीजी के सम्पर्क में आए थे।  मगर, तब भी वे अपने लोगों के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद, आदिवासियों की अधिसंख्य आबादी आज भी बीहड़ जंगलों में रहने अभिशप्त है। अपने देश और समाज के प्रति ठक्कर बापा की नीयत साफ झलकती है। मगर, आदिवासियों के प्रति कांग्रेस की नीतियां में जरुर संदेह नजर आता हैं।

ठक्कर बापा का नाम लेते ही ऐसे ईमानदार शख्स की तस्वीर जेहन में उभरती है, जो बड़ा ईमानदार है।  जिसने एक बड़े सरकारी ओहदे से इस्तीफा देकर दिन-हीन और लाचार लोगों के लिए अपनी तमाम जिंदगी न्योछावर कर दी हो। शायद, इसी को लक्ष्य कर गांधी जी ने एक  उन्हें  'बापा ' कहा था।  'बापा ' अर्थात लाचार और असहायों का बाप।  चाहे गुजरात का भीषण दुर्भिक्ष हो या नोआखाली के दंगे, ठक्कर बापा ने लोगोंकी जो सेवा की , नि:संदेह वह स्तुतिय है।
                       ठक्कर बापा एक खाते-पीते परिवार से संबंध रखते थे। ठक्कर बापा का नाम अमृतलाल ठक्कर था। आपका जन्म 29 नवम्बर 1869 भावनगर (सौराष्ट्र ) में हुआ था। आप की माता का नाम मुलीबाई और पिता का नाम विठलदास ठक्कर था। अमृतलाल ठक्कर के पिताजी एक व्यवसायी थे। विट्ठलदास समाज के हितेषी और स्वभाव से दयालु थे।उन्होंने अपने गरीब समाज के बच्चों के लिए भावनगर में एक छात्रावास खोला था। भावनगर में ही सन 1900 के भीषण अकाल में उन्होंने केम्प लगवा कर कई राहत कार्य चलवाए थे।

पढने-लिखने में अमृतलाल बचपन से ही होशियार थे।  सन 1886 में आपने मेट्रिक में टॉप किया था। सन 1890  में आपने पूना से सिविल इंजीनियरिंग पास किया था। सन 1890 -1900 की अवधि में अमृतलाल ठक्कर ने काठियावाड़ स्टेट में कई जगह नौकरी की थी।  सन 1900-1903 के दौरान पूर्वी अफ्रीका के युगांडा रेलवे में बतौर इंजिनीयर उन्होंने अपनी सेवा दी। वे सांगली स्टेट के चीफ इंजिनियर नियुक्त हुए। इसी समय आप गोपाल कृष्ण गोखले और धोंडो केशव कर्वे  के सम्पर्क में आए।

सांगली में एकाध  साल नौकरी करने के बाद अमृतलाल ठक्कर बाम्बे म्युनिसिपल्टी में आ गए।  यहाँ कुर्ला में नौकरी के दौरान वे वहाँ की दलित बस्तियों में गए। डिप्रेस्ड कास्ट मिशन के रामजी शिंदे के सहयोग से उन बस्तियों में आपने स्वीपर बच्चों के लिए स्कूल खोला ।

सन 1914  में अमृतलाल ठक्कर ने अपने नौकरी से त्याग दे दिया।  अब वे 'सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसायटी' से जुड़ कर पूरी तरह जन-सेवा में जुट गए।  यही वह समय था जब गोपाल कृष्ण गोखले ने उनकी मुलाकात गांधी जी से करवाई। सन 1915 -16  में ठक्कर बापा ने बाम्बे के स्वीपरों के लिए को-ऑपरेटिव सोसायटी स्थापित की। इसी तरह अहमदाबाद में आपने मजदूर बच्चों के लिए स्कूल खोला।

सन 1918-19  की अवधि में टाटा आयरन एंड स्टील जमशेदपुर ने अपने कामगारों की परिस्थितियों के आंकलन के लिए ठक्कर बापा की सेवाएं ली थी। गुजरात और उड़ीसा में पड़े भीषण अकाल के समय ठक्कर बाबा ने वहाँ रिलीफ केम्प लगा कर काफी काम किया।  सन 1922 -23 के अकाल में गुजरात में भीलों के बीच रिलीफ का कार्य करते हुए आपने 'भील सेवा मंडल' स्थापित किया था।

सन 1930 में सिविल अवज्ञा आंदोलन दौरान वे गिरफ्तार हुए थे। उन्हें 40 दिन जेल में रहना पड़ा था। पूना पेक्ट (सन 1932 )में गांधी जी के आमरण अनशन के दौरान ठक्कर बापा ने समझौए के लिए महती भूमिका निभाई थी।

ठक्कर बापा ने बतौर 'हरिजन सेवक संघ' के महासचिव सन 1934 -1937 की अवधि में ' हरिजनों ' की समस्याओं से रुबरूं होने के लिए सारे देश का भमण किया था। सन 1938-42  की अवधि में वे  सी पी एंड बरार, उड़ीसा, बिहार, बाम्बे राज्यों में आदिवासी और पिछड़े वर्गों के कल्याण से संबंधित विभिन्न सरकारी समितियों में रहे थे ।

सन 1944 में ठक्कर बापा ने 'कस्तूरबा गांधी नॅशनल मेमोरियल फण्ड' की स्थापना की। इसी वर्ष ' गोंड सेवक संघ' जो अब 'वनवासी सेवा मंडल' के नाम से जाना जाता है;  की स्थापना की थी। ठक्कर बापा सन 1945 में 'महादेव देसाई मेमोरियल फण्ड' के महासचिव बने थे।  'आदिमजाति मंडल' रांची जिसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे, के उपाध्यक्ष रहे। सन 1946 -47 में नोआखली जहाँ जबरदस्त दंगे भड़के थे, ठक्कर बापा वहाँ  गांधी जी के साथ थे।

स्वतंत्रता के बाद ठक्कर बापा संविधान सभा के लिए चुने गए थे।  वे संविधान सभा के और कुछ उप-समितियों में थे। आप गांधी नॅशनल मेमोरियल फण्ड के ट्रस्टी और एक्जुटिव बॉडी के मेंबर थे। ऐसी निर्लिप्त भाव से सेवा करने वाली शख्सियत 20 जनवरी 1951  हम और आप से विदा लेती है।
      
        🇮🇳 *जयहिंद* 🇮🇳

🙏🌹 *विनम्र अभिवादन* 🌹🙏                                                                                                                                                                                                                                                                                                          ➖➖➖➖➖➖➖➖➖

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